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Monday, March 12, 2012

Jagran : Unemployed Allowance for Persons Having Age Above 35 years


भत्ते की आस ने बढ़ाई बेरोजगारी की दस्तक


(Jagran : Unemployed Allowance for Persons Having Age Above 35 years )


लखनऊ, [राजीव दीक्षित]। 'तुरंत डीएम और एसपी से संपर्क करिये। किसी भी कीमत पर कानून व्यवस्था भंग नहीं होनी चाहिए।' पंजीकरण कराने आए बेरोजगारों की भारी भीड़ से घबराए आजमगढ़ के जिला सेवायोजन अधिकारी को लखनऊ स्थित प्रशिक्षण व सेवायोजन निदेशालय में तैनात उप निदेशक सेवायोजन डी.प्रसाद सोमवार दोपहर 2.45 बजे फोन पर यह निर्देश दे रहे हैं। इससे पहले पास के कमरे में बैठे स्टेट करियर काउंसलर डीके वर्मा को आगरा के क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारी राजीव कुमार यादव फोन पर यह बता चुके हैं कि उनके यहां सोमवार को दोपहर डेढ़ बजे तक 4000 पंजीयन फॉर्म बांटे जाने के बाद फॉर्म खत्म हो चुके हैं, जबकि काउंटरों पर बेरोजगारों की भीड़ जमा है। लखनऊ के कैसरबाग इलाके के जगदीश चंद्र बोस मार्ग से रोजाना गुजरने वालों को बीते कुछ दिनों से रास्ता बदलकर जाना पड़ रहा है, क्योंकि इस सड़क पर पड़ने वाले क्षेत्रीय सेवायोजन कार्यालय में बीते कुछ दिनों से रोजगार तलाशने वालों का रेला जुट रहा है।
यह बेरोजगारों की फौज है जो समाजवादी पार्टी द्वारा अपने चुनाव घोषणा पत्र में घोषित बेरोजगारी भत्ते की आस में सेवायोजन कार्यालयों पर टूट पड़ी है। समाजवादी पार्टी ने घोषणा 
पत्र में वादा किया है कि उत्तर प्रदेश में उसकी सरकार बनने पर 
35 वर्ष की उम्र पूरी कर चुके बेरोजगार नौजवानों को 12 हजार 
रुपये सालाना बेरोजगारी भत्ता दिया जाएगा। बीती 20 जनवरी को सपा का घोषणा पत्र जारी होते ही सेवायोजन कार्यालयों में पंजीयन कराने वाले बेरोजगारों के जत्थे दस्तक देने लगे थे, लेकिन छह मार्च को चुनाव के नतीजे आते ही इन दफ्तरों में बेरोजगारों का सैलाब उमड़ पड़ा। लखनऊ के क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारी पीके पुंडीर के मुताबिक जनवरी में उनके यहां महज 1575 पंजीयन हुए थे, जिनकी संख्या फरवरी में तकरीबन पांच गुना बढ़कर 7329 हो गई। वहीं, छह मार्च को चुनाव परिणाम वाले दिन यहां 2982 बेरोजगारों ने पंजीकरण कराया तो नौ मार्च को 3788 ने। वाराणसी के क्षेत्रीय सेवायोजन अधिकारी रवि शेखर आनंद के मुताबिक बेरोजगारों के पंजीयन के लिए पहले जहां सिर्फ दो काउंटर पर्याप्त होते थे, अब वहां महिला और पुरुष बेरोजगारों के छह-छह काउंटर खोलने के बाद भीड़ छंटने का नाम नहीं ले रही। मंगलवार से वह महिलाओं व पुरुषों के लिए 10-10 काउंटर खोलने वाले हैं।
पंजीयन के लिए यह मारामारी अकारण नहीं है। उद्योग और सेवा क्षेत्रों में पिछड़े उप्र में संगठित क्षेत्र में रोजगार की तलाश करने वालों की बड़ी तादाद की तुलना में पेट पालने के मौके कम हैं। संगठित क्षेत्र में रोजगार के लिए अब भी समाज का बड़ा तबका सार्वजनिक क्षेत्र पर निर्भर है। प्रशिक्षण व सेवायोजन निदेशालय के आंकड़े गवाही देते हैं कि 2005 तक प्रदेश के संगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसर कम हुए। 2006 से निजी क्षेत्र में रोजगार में थोड़ा इजाफा होने के कारण संगठित क्षेत्र में रोजगार के अवसरों में मामूली वृद्धि हुई। आबादी की मार से कराहते प्रदेश में बेरोजगारों के लिए स्थितियां अब भी सहज नहीं हैं। दिसंबर 2005 तक प्रशिक्षण एवं सेवायोजन निदेशालय की सक्रिय पंजिका में नौकरी की तलाश करने वाले 18.62 लाख बेरोजगारों के नाम दर्ज थे। सपा की पिछली सरकार के दौरान 2006-07 में बेरोजगारों को 500 रुपये मासिक भत्ते दिये जाने की योजना लागू होने के कारण अप्रैल 2007 तक सक्रिय पंजिका में दर्ज बेरोजगारों की संख्या बढ़कर 27.97 लाख जा पहुंची। बसपा सरकार के कार्यकाल में बेरोजगारी भत्ता बंद किये जाने की वजह से दिसंबर 2009 तक यह आंकड़ा घटकर 21.26 लाख और जून 2011 तक 19.78 लाख रह गया। सपा सरकार में बेरोजगारी भत्ता दिये जाने की घोषणा से यह आंकड़ा फिर तेजी से बढ़ने लगा है। सेवायोजन कार्यालयों में अक्टूबर 2010 तक दर्ज बेरोजगारों में सर्वाधिक 33.88 प्रतिशत इंटरमीडिएट, 26 फीसदी स्नातक, 18.99 प्रतिशत हाईस्कूल और 7.96 प्रतिशत स्नातकोत्तर उत्तीर्ण हैं। वहीं 13.17 फीसदी पंजीकृत बेरोजगारों की शैक्षिक योग्यता हाईस्कूल से कम है

News : Jagran (12.3.12)