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Wednesday, November 7, 2012

RTE : आरटीई के अमल की समीक्षा करेगा केंद्र


RTE : आरटीई के अमल की समीक्षा करेगा केंद्र


 नई दिल्ली दो दशक बाद नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति की जरूरत महसूस कर रही सरकार जरूरी सुधारों की रफ्तार धीमी नहीं होने देना चाहती। लिहाजा, सरकार ने छह से चौदह साल तक के बच्चों की मुफ्त व अनिवार्य पढ़ाई के लिए बने शिक्षा का अधिकार कानून पर अमल की समीक्षा का फैसला किया है। इरादा, उच्च शिक्षा के लिए राष्ट्रीय फ्रेमवर्क (रूपरेखा) भी तय करने की है। केंद्र इन मसलों पर राज्यों के साथ मशविरा करने के साथ ही स्कूलों में धोखाधड़ी और वसूली रोकने एवं सजा के लिए नये कानून पर भी राज्यों की रजामंदी हासिल करने का प्रयास करेगा। शिक्षा का अधिकार कानून (आरटीई) में स्कूलों में प्रशिक्षित और योग्य शिक्षकों का प्रावधान किया गया है, लेकिन कानून के अमल को पौने तीन साल बीतने के बाद भी लगभग 8.6 लाख अप्रशिक्षित शिक्षक बच्चों को पढ़ा रहे हैं। वे राष्ट्रीय अध्यापक शिक्षा परिषद (एनसीटीई) के मापदंड पर खरे नहीं उतरते। सबसे खराब स्थिति पश्चिम बंगाल की है, जहां 1.97 लाख अप्रशिक्षित हैं। बिहार में 1.86 लाख, उत्तर प्रदेश 1.43 लाख, झारखंड में 77 हजार व जम्मू-कश्मीर में 31 हजार अप्रशिक्षित शिक्षक हैं। यही वजह है कि केंद्र सरकार को आरटीई के अमल पर समीक्षा की जरूरत महसूस हुई। मंत्रिमंडल में फेरबदल के बाद शिक्षा (मानव संसाधन विकास मंत्रालय) की नई टीम कई मुद्दों पर फैसले के लिए केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड (कैब) से भी मशविरा करने जा रही है। एजेंडे पर स्कूलों में छात्रों और अभिभावकों से झूठे वादे, दाखिले को लेकर टालमटोल, अवैध वसूली, ज्यादा फीस, भ्रामक विवरणिका जैसे गलत क्रियाकलापों को रोकने के लिए प्रभावी कानून बनाने की बात शामिल है। चूंकि, राज्यों के शिक्षा मंत्री केंद्रीय शिक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य होते हैं और यही शिक्षा से जुड़े फैसलों का सबसे शीर्ष निकाय है। ऐसे में सहमति बनी तो गुरुवार को प्रस्तावित इस बैठक में नये कानून की राह साफ हो सकती है। सरकार की मंशा, उच्च शिक्षा के लिए भी राष्ट्रीय रूपरेखा (फ्रेमवर्क) भी तय करने के लिए कैब सदस्यों की अलग कमेटी बनाने की है। कमेटी बीते दो दशक में विभिन्न देशों में उच्च शिक्षा की राष्ट्रीय रूपरेखा के लिए हुई पहलों का जायजा लेकर अपनी रिपोर्ट देगी। गुणवत्ता को सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय उच्च शिक्षण संस्थान मान्यता नियामक प्राधिकरण बनाने और मान्यता को अनिवार्य बनाने में राज्यों की भूमिका पर विचार भी किया जाना है।


News Source : Jagran (7.11.12)

3 comments:

  1. itna clear hai ki add aa jayega to cort decide kerega ki kis base per selection hoga / bas add aa jaye chahey acd hi ho / tondon n kaha hai ki puraney candidates ka hit prabhavit hoga to court khud sansodhan ker legi/ is liye add acd bhi aaye to bhi koi baat nahi usey chalange kerke court main sansodhan kera lia jayega/ gov ko sadbudhi aaye aur wo add le aaye bas dua kero chahey jis base per/ aakhir main puraney candidates ki jeet hogi kyonki acd se puraney candedates k hit to prabhavit hoga hi

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  2. Ek bat hindi m samaj lo k maya k banae niyam s bharti 5 sal m b nahi hogi chahe koi b order kar d tume malum hona chahie k tet k o.m.r. Sheet m ank badhe gai h anuman k hisab s merit bahut high jaegi tumara kia tet merit s h bhala ho sakta baki padai kia bhan kn randi banane k lie k thee madrchod mera tet 102 sc art . Tum agar ab nahi samajh sakte to padelikhe anjan ho jo tumare pariwar k lie gatak h . Or tumare pariwar ka shoshan hota rahega . Sorry think deepli. R pakka talab ETAwah

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  3. Ek bat hindi m samaj lo k maya k banae niyam s bharti 5 sal m b nahi hogi chahe koi b order kar d tume malum hona chahie k tet k o.m.r. Sheet m ank badhe gai h anuman k hisab s merit bahut high jaegi tumara kia tet merit s h bhala ho sakta baki padai kia bhan kn randi banane k lie k thee madrchod mera tet 102 sc art . Tum agar ab nahi samajh sakte to padelikhe anjan ho jo tumare pariwar k lie gatak h . Or tumare pariwar ka shoshan hota rahega . Sorry think deepli. R pakka talab ETAwah

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