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Thursday, August 1, 2013

News : सियासी पार्टियां RTI दायरे से बाहर, लगी कैबिनेट की मुहर, चुनाव लड़ते रहेंगे अपराधी

News : सियासी पार्टियां RTI दायरे से बाहर, लगी कैबिनेट की मुहर
चुनाव लड़ते रहेंगे अपराधी


चुनाव लड़ते रहेंगे अपराधी -
जेल से चुनाव लड़ने पर रोक और दो साल से ज्यादा सजा होने पर सदन की सदस्यता स्वत: खत्म होने वाले सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले के खिलाफ संसद के मानसून सत्र में विधेयक लाने के लिए भी सरकार तैयार है


राजनीतिक दल न तो आम आदमी को अपने खातों में झांकने का हक देना चाहते हैं और न ही चुनावी मैदान में अपराधियों को खड़ा करने का अपना अधिकार खोने को तैयार हैं। अपराधियों के चुनाव लड़ने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक और राजनीतिक दलों को सूचना अधिकार [आरटीआइ] कानून के दायरे में लाने के केंद्रीय सूचना आयोग के आदेश के खिलाफ पूरी सियासत एकजुट हो गई है। संसद के मानसून सत्र में इन दोनों फैसलों के खिलाफ विधेयक लाकर उन्हें रद करने की तैयारी हो गई है। साफ है कि भ्रष्टाचार और अपराधीकरण से राजनीतिक दल खुद को मुक्त करने के लिए तैयार नहीं हैं


इस मामले में लगभग सभी राजनीतिक दलों की एक राय है

3 comments:



  1. Avanish Yadav >><>><<


    Dosto - Hardoi tet morche ki saptahik baithak
    sunday 4 August ko 10am par company baag
    Hardoi me aayojit hogi . Aap sabhi Hardoi ke sathi
    sadar aamantrit hai.

    Jai old add ,jai tet merit.

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  2. DUA..

    लब पे आती है दुआ बनके तमन्ना मेरी
    जिन्दगी शम्मा की सूरत हो ख़ुदाया मेरी

    दूर दुनिया का मेरे दम से अँधेरा हो जाए
    हर जगह मेरे चमकने से उजाला हो जाये

    हो मेरे दम से यूँ ही मेरे वतन की जीनत
    जिस तरह फूल से होती है चमन की ज़ीनत

    जिन्दगी हो मेरी परवाने की सूरत या रब
    इल्म की शम्मा से हो मुझको मोहब्बत या रब

    हो मेरा काम ग़रीबों की हिमायत करना
    दर्द-मंदों से जईफ़ों से मोहब्बत करना

    मेरे अल्लाह बुराई से बचाना मुझको
    नेक जो राह हो उस रह पे चलाना मुझको॥

    लब पे आती है दुआ बन के तमन्ना मेरी
    जिन्दगी शम्मा की सूरत हो खुदाया मेरी


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  3. मेरे पड़ोस वाले शर्मा जी कल
    अपनी बेटी के साथ
    विश्वविद्दालय जाने के लिए
    निकले, थोड़ी देर प्रतीक्षाकरने
    के बाद एक
    रिक्शा वाला आया तो उन्होने
    रिक्शे वाले से कहा- मुझे
    विश्वविद्दालय जाना है, चलोगे?
    रिक्शावाला- नही साब, मुझे
    रास्तानही मालूम हैँ,

    रिक्शावाला जाने को हुआ
    तभी शर्मा जी कुछ सोचकर बोले-
    सुनो"युनिवर्सिटी" चलोगे?
    रिक्शावाला-
    हाँ हाँ क्यो नही आइएबैठिए 20
    रु. लगेगा,

    ये हाल है हमारे देश मेँ
    अपनी मातृभाषा का जहाँ रिक्शे
    वाले को भी युनिवर्सिटी तो पता है,

    लेकिन"विश्वविद्दालय" ???
    रास्ता नही मालूम..

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