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Friday, February 21, 2014

HTET 2014 : HARYANA TEACHER ELIGIBILITY TEST 2013-14 RESULT DECLARED http://htet.nic.in

HTET 2014 : हरियाणा शिक्षक पात्रता परीक्षा 2013-14 के नतीजे वेबसाइट http://htet.nic.in पर जारी .

HTET  / टीईटी / TET Teacher Eligibility Test Updates / Teacher Recruitment News

चंडीगढ। हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी द्वारा संचालित हरियाणा अध्यापक पाजता परीक्षा 2013-14 परीक्षा का परिणाम गुरूवार को घोषित हो गया हैं। एचटेट परीक्षा में लेवल-1 (प्राईमरी टीचर) परिणाम 6.35 प्रतिशत रहा है। लेवल-2 (टीजीटी) की परीक्षा मे 6.31 प्रतिशत परिणाम रहा है तथा लेवल-3 (पीजीटी) की परीक्षा में 6.11 प्रतिशत परिणाम रहा है। इस आशय की जानकारी देते हुए बोर्ड अध्यक्ष डॉ केसी. भारद्वाज ने यहां बताया कि इस परीक्षा में 336874 परीक्षार्थियों ने परीक्षा दी थी जिसमे से 21111 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। उन्होंने बताया कि 117630 पुरूष परीक्षार्थी इस परीक्षा में प्रविष्ट हुए थे जिनमे से 7566 पुरूष उत्तीर्ण हुए हैं।

उन्होंने बताया कि 219244 महिला परीक्षार्थी इस परीक्षा मे प्रविष्ट हुई थी जिनमे से 13545 महिलाएं उत्तीर्ण हुई हैं। अध्यक्ष ने आगे बताया विंलेवल-1 (प्राईमरी टीचर) परीक्षा मे 110375 परीक्षार्थी प्रविष्ट &द्दह्ल;हुए थे, जिनमे से 7010 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए हैं। लेवल-2 (टीजीटी) परीक्षा मे 134453 परीक्षार्थी प्रविष्ट हुए थे। जिनमे से 8480 परीक्षार्थी पास हुए हैं तथा लेवल-3 (पीजीटी) परीक्षा में 92046 परीक्षार्थी हुए थे। जिनमे से 5621 परीक्षार्थी उत्तीर्ण हुए है।

बोर्ड अध्यक्ष ने बताया कि इस परीक्षा के सचालन और परीक्षा परिणाम तैयार करनें मे पूर्ण गोपनीयता व पारर्दशिता बर ती गई हैं तथा परिणाम कई स्तरों पर जांच उपरांत ही घोषित किया गया हैं। बोर्ड सचिव डॉ अशज सिंह आईएएस ने इस परिणाम की विस्तार पूर्वक जानकारी देते हुए बताया कि लेवल-1 (प्राईमरी टीचर ) परीक्षा मे 69495 महिला परीक्षार्थी प्रविष्ट हुई थी, जिनमे से 4328 उत्तीर्ण हुई हैं। लेवल-2 (टीजीटी) परीक्षा में 91709 महिला परीक्षार्थी प्रविष्ट हुई थी। जिनमे से 5487 उत्तीर्ण हुई है&द्दह्ल; तथा लेवल-3 (पीजीटी) परीक्षा में 58040 महिला परीक्षार्थी प्रविष्ट हुई थी। जिनमे से 3730 उत्तीर्ण हुई हैं।

Answer Key is Given on following link :-http://htet.nic.in/htetapp/Welcome.aspx
 Answer Key For Level 1


विस्तृत जानकारी के लिए यहां क्लिक करें...

http://htet.nic.in/htetapp/Welcome.aspx

परिणाज देखने के लिए यहां क्लिक करें।

http://htet.nic.in/htetapp/Online/ViewResultInput.aspx

9 comments:

  1. स्वयं से प्रेम करें …………

    “success is not the key to happiness but happiness is the key to success“

    प्रसन्न रहना ही सफल जीवन काराज़ है. ईश्वर ने मनुष्य कोबहुत सारीखूबियाँ और अच्छाइयां दी हैं. मनुष्य वोप्राणी है जिसके अन्दर सोचने की और समझने की अपार क्षमता है. जो जीवन को बस यूँ ही जीनाया व्यर्थ करना नहीं चाहता. हर व्यक्ति के अन्दर एक बहुत हीप्रबल इच्छा होतीहै सफल होने की, कुछ कर दिखाने की और अपनी एक पहचानपाने की. कुछ लोग अपनी इस इच्छा को दिन पर दिन बढ़ाते हैं और कुछ लोग समाजया परिश्रम के डर से इसे दबा देते हैं. पर अपने आप से पूछ कर देखिये कि कौन ऐसा जीवन जीना नहीं चाहता जिसमे लोग आप से प्रेम करें और आप को पहचाने. सफलताके कई सारे कारण होते हैं जैसे द्रिढ़ निश्चय, मेहनत करना, सपने देखना और उन्हें पूर्ण करने कीदिशा में कार्य करना, सच्चाई, इमानदारी,जोखिम उठाने की क्षमताइत्यादि.

    पर सफलता काएक ऐसाकारक भीहै जिसे हम अक्सर नज़रंदाज़ कर देते हैं और वो है स्वयं से प्रेम करना. अपने आप से प्रेम करना और अपना आदर करना सफल व्यक्तियों का एक बहुत ही प्रबल गुण होता है.

    कभीआराम से बैठ कर सोचिये कि किस से सबसे अधिक प्रेम करते हैं आप?whomdo you love most? ये बात अगर आप किसी से पूछें तो आम तौर पर जवाब आयेगा my parents, my children, my spouse etc etc जितने लोग उतने जवाब. अगर आप गहराई से सोचें तो इस प्रश्न का आप को एक ऐसाउत्तर मिलेगा जिसे आप मुश्किल से ही accept कर पाएंगे. और वोजवाब है ‘अपने आप से’. जी हाँ! इस दुनिया में सबसे अधिक प्रेम आप स्वयं से हीकरते हैं. अगर देखाजाये तो हर छोटे से छोटाऔए बड़े से बड़ा काम हम अपनीख़ुशी के लिएहीतो करते है? चाहे वो विवाह के बंधन में बंधनाहो, कोई नौकरी करना हो, माँ बनना हो, किसी कीमदद करना हो, किसी को दुखी करना हो कुछ भी. हाँ! अंतर सिर्फ ख़ुशी पाने के स्रोत में होता है कुछ को दूसरों को ख़ुशी दे कर सुख मिलता है और कुछ को दूसरों के कष्ट से. महात्मा गाँधी, मदर टेरेसा और दुनिया के कई समाज सुधारक क्या इन्होनें अपनी ख़ुशीके बारे में नहीं सोचा? निःसंदेह सोचा, ये वे लोग थे जिन्हें दूसरों को प्रसन्न देख कर ख़ुशी मिलती थी. कुछ लोग स्वयं से प्रेम करने कोअनुचित समझते हैं क्यों कि लोगों के मन में अक्सर ये धारणारहती है कि जो व्यक्तिस्वयं से प्रेम करता है वो selfishहोता है और दूसरों से प्रेम कर ही नहीं सकता. तो इसका उत्तर ये है किअपने आप से प्रेम करना कभी ग़लत हो ही नहीं सकताक्यों कि जो व्यक्ति अपने आप से प्रेम नहीं करतावो किसी और से सच्चा प्रेम कर हीनहीं सकता. जो अपने आप से संतुष्ट नहीं वो किसीऔर को संतुष्ट कैसे रख सकता है? ‘unless you fill yourself up first you will have nothing to giveto anybody’

    अपने आप से प्रेम करने का अर्थ है स्वयं को निखारना, अपने अन्दर की अच्छाइयों को खोजना, अपने लिए सम्मानप्राप्त करना, अपनाself statement positive रखना, अपने आप को प्रेरित करते रहना और अपने साथहुई हर अच्छी बुरी घटनाकी जिम्मेदारी खुद पे लेना. ये हमेशा याद रखिये कि आप दूसरों को प्रेम और सम्मान तभीबाँट पाएंगे जब आप के पास वोवस्तु प्रचुर मात्र में होगी.स्वयं से प्रेम करनाउतना ही स्वाभाविक है जिंतना कि सांस लेना. Bibleमें कहाभी गया है किहमें दूसरों से भी उतना ही प्रेम करनाचाहिएजितना हम स्वयं से करते हैं. परन्तु कभी – कभीहम अपने आपसे प्रेम करना भूल जाते हैं. मशहूर psychologist Sigmund Freud ने मनुष्य के अन्दर दो प्रकार की instinct का ज़िक्र किया है एक constructive और एक distructive. कुछ लोग अपनी भावनाओं का प्रदर्शनconstructiveतरीके से करते हैं, उन लोगों को अच्छे कार्य करके प्रसन्नता मिलती है और कुछ लोगों को विनाश कर के और दूसरों कोतकलीफ पहुंचा कर. अगर आप कोई भी distructive कार्य कर रहे हैं , अपने आपको उदास बनाये हुए हैं और अपने जीवन से निराश हैं तो आप स्वयं से प्रेम नहीं करते. जो व्यक्ति अपने आपसे प्रेम नहीं करता वो दूसरों को तोप्रेम दे ही नहीं सकताक्यों कि किसी भी भाव को जब तक आप अपने ऊपर अजमा कर नहीं देखेंगे , उसकास्वाद खुद नहीं चखेंगे तब तक दूसरों के सामने उसे बेहतर बना कर कैसे पेश करेंगे. स्वयं से प्रेम करने काअर्थ ‘मैं ’ से नहीं है बल्कि इसका अर्थ है अपनी अच्छाइयों को पहचान कर उसे बहार निकलना और सही अर्थ में अपने आप को grow करना. मनोचिकित्सा में भीअपने जीवन से निराश और depressed patients के उपचार के लिए उन्हें अपने जीवन का उद्देश्य ढूँढ़ने के लिए अर्थहीनता को दूर करने के लिए कहा जाता है. ज़रा सोचिये कि वो कौन सी मनःस्थिति होतीहोगी जिसमें मनुष्य आत्म हत्या करने कि ठानलेताहै?ऐसी स्थिति केवल और केवल तभी उत्पन्नहोती है जब मनुष्य का

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  2. भारतीय नर्क और अमेरिकी नर्क

    एक बार एक व्यक्ति मरकर नर्क में

    पहुँचा, तो वहाँ उसने देखा कि प्रत्येक

    व्यक्ति को किसी भी देश के नर्क में जाने

    की छूट है । उसने सोचा,

    चलो अमेरिका वासियों के नर्क में जाकर देखें,

    जब वह वहाँ पहुँचा तो द्वार पर पहरेदार से

    उसने पूछा - क्यों भाई अमेरिकी नर्क में

    क्या-क्या होता है ? पहरेदार बोला - कुछ खास नहीं, सबसे पहले आपको एक इलेक्ट्रिक

    चेयर पर एक घंटा बैठाकर करंट दिया जायेगा,

    फ़िर एक कीलों के बिस्तर पर आपको एक घंटे

    लिटाया जायेगा, उसके बाद एक दैत्य आकर

    आपकी जख्मी पीठ पर पचास कोडे

    बरसायेगा... ! यह सुनकरवह

    व्यक्ति बहुत घबराया और उसने रूस के नर्क

    की ओर रुख किया, और वहाँ के पहरेदार से

    भी वही पूछा, रूस के पहरेदार ने भी लगभग

    वही वाकया सुनाया जो वह अमेरिका के नर्क

    में सुनकर आया था । फ़िर वह व्यक्ति एक-

    एक करके सभी देशों के नर्कों के दरवाजे

    जाकर आया, सभी जगह उसे भयानक किस्से सुनने को मिले । अन्त में

    जब वह एक जगह पहुँचा,

    देखा तो दरवाजे पर लिखा था "भारतीय नर्क" और उस दरवाजे के बाहर उस नर्क में

    जाने के लिये लम्बी लाईन लगी थी, लोग भारतीय नर्क में जाने को उतावले हो रहे थे,

    उसने सोचा कि जरूर यहाँ सजा कम मिलती होगी... तत्काल उसने पहरेदार से

    पूछा कि सजा क्या

    है ? पहरेदार ने

    कहा - कुछ खास नहीं...सबसे पहले

    आपको एक इलेक्ट्रिक चेयर पर एक

    घंटा बैठाकर करंट दिया जायेगा, फ़िर एक

    कीलों के बिस्तर पर आपको एक घंटे लिटाया जायेगा, उसके बाद एक दैत्य आकर

    आपकी जख्मी पीठ पर पचास कोडे

    बरसायेगा... ! चकराये हुए व्यक्ति ने

    उससे पूछा - यही सब तो बाकी देशों के नर्क

    में भी हो रहा है, फ़िर यहाँ इतनी भीड

    क्यों है ? पहरेदार बोला - इलेक्ट्रिक चेयर

    तो वही है, लेकिन बिजली नहीं है, कीलों वाले

    बिस्तर में से कीलें कोई निकाल ले गया है,

    और कोडे़ मारने वाला दैत्य

    सरकारी कर्मचारी है, आता है, दस्तखत

    करता है और चाय-नाश्ता करने

    चला जाता है...और कभी गलती से

    जल्दी वापस आ भी गया तो एक-दो कोडे़

    मारता है और पचास लिख देता है...चलो आ जाओ अन्दर !!!

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  3. एक गुरु और चेला समंदर के किनारेटहल रहेथे. वहाँ उन्होंने एक बोर्ड देखा जिस पर लिखा था -“डूबते हुए को बचानेवाले को 500 रुपये का इनाम दिया जाएगा.” बोर्ड पढ़ते ही गुरुको एक आईडिया सूझा. उसने चेले सेकहा –“मैं समंदर मेंकूद जाता हूँ और मदद के लिए चिल्लाता हूँ, तुम मुझे बचा लेना. जो 500 रुपयेमिलेंगेउसमें से 100 तुझे दूंगा … ठीक है ?” चेला – “केवल 100 ? … 50% करिये ना ?” गुरु –“100 रुपये से एक पैसा ज्यादा नहीं दूंगा … आईडिया मेरा है कि तेरा ?….चुपचाप जैसा मैं कहता हूँ वैसा कर !” और गुरूजी समंदर मेंकूद कर मदद के लिए चिल्लाने लगे. चेला आरामसे बैठकर देखतारहा. उसे यूँ बैठे देखकर गुरूजी बोले– “अबे अब आता क्यों नहीं मुझे बचाने? मुझे सचमुच तैरना नहीं आता !” चेला – “गुरूजी आपनेबोर्ड ध्यान से नहीं पढ़ा …नीचे लिखा है -“लाश निकालने वाले को 5000 रुपय...े का इनाम दिया जाएगा

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  4. A negro boarded a bus wth hiz son, conductr said-
    .
    .
    itni gandi shakal ka baccha maine aaj tak nahi dekha !

    Negro gets angry bt sayz nothing n takes a seat near santa.
    .
    .
    Santa- u look angry wat happened ?
    Negro- d conductor insulted me !
    .
    .
    .
    Santa- to maar saale ko, la apna bandar mujhe pakda de.. Ye kaatega to nahi?? 

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  5. एक राजा था| एक बार राजा अपने राजमहल केबगीचे मेंसैर कर रहा था| उसने देखा कि कोईआदमी दरवाजे पर खड़ा है| उसने दरवान से कहा कि वह उस आदमी केबारे में पता करेवह दरवाजेपर क्योंखड़ा है| दरवान नेदरवाजा खोला तो देखाएक आदमी एक मोटी ताज़ी मुर्गी लिए खड़ा था| दरवान नेउस आदमी से आनेका कारण पूछा तो आदमी ने कहा, मैं राजा को यह मुर्गी देनेआया हूँ| दरवान ने आदमीको राजा से मिलवा दिया| आदमी बोला, राजा जी राजा जी मैंने आप के नाम पर यह मुर्गी जीती है| यह मैं आप को देने आया हूँ| राजा ने कहा इसको मेरेमुर्गी खानेमें देदो| आदमी मुर्गी देकर चला गया| कुछ दिनोंबाद वह आदमी फिर से आया | इस बार वह अपने साथ एक बकरी लेकर आया था| उसनेराजा से कहा राजा जी राजा जी इस बार मेंने आप के नाम पर यह बकरी लगाईथी और मैंजीत गया| यह बकरीमैंआप को देनेआया हूँ| राजा बहुत खुश हुवा| उसनेकहा इस बकरीको मेरेबकरियोंके झुण्ड में शामिल कर दो| वह आदमी बकरी देकर चला गया| वह आदमी कुछ हफ़्तों बाद फिर राजा के दरवाजे पर आकर खड़ा हो गया इस बार उसकेसाथ दो आदमी और थे| दरवान ने उसको फिर राजा को मिलवा दिया| राजा ने आदमी से पूछा इसबार मेरेलिए क्या ले कर आये हो, और तुम्हारे साथ ये दोनों कौन हैं| आदमीने राजा से कहा, राजा जी राजा जी इस बार मैंने आपके नाम पर ५०० चाँदी के सिक्केलगाये थे और मैं हार गया हूँ| अबइन लोगों को ५०० चाँदी के सिक्के देनेहैं| यह सुन कर राजा को अपनी गलती का एहसास हो गया| पर वह उनको मना भीनहीं कर सकता था| क्यूँ कि उसने लेते समय मना नहींकिया था| उसने उन दोनों आदमियों को चाँदी केसिक्के देकर जाने को कह दिया| फिर राजा ने उस जुआरीआदमी से कहा आज के बाद तुम मेरे नामपर कोई दाव नहीं लगाओगे, और ना ही कभी मेरे दरवाजे पर दिखोगे| इस तरह राजा को अपनी गलती कीबहुत बड़ी कीमत चुकानी पड़ी| इस लिए बगैर सोचे समझे किसी से कोई चीज नहीं लेनी चाहिए|

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  6. हम येकसम खाएंगेकि जिंदगी में कभी रिश्वत नहीं लेंगे ना हीं देंगे..आज ऐलान कर रहाहूंआप से कोईपैसे मांगे तो मना मत करना. उससेसेटिंग कर लेना. हमआपको फोन नंबर देंगे..उसको हम रंगे हाथों पकड़वा देना.. आपका काम मैं करवाउंगा-अरविंद केजरीवाल

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  7. वह प्राइमरी स्कूल की टीचर थी | सुबह उसने बच्चो काटेस्ट लिया था और उनकी कॉपिया जाचनेके लिए घर ले आई थी | बच्चोकी कॉपिया देखते देखतेउसके आंसूबहने लगे | उसका पति वही लेटे TV देख रहा था | उसने रोनेका कारण पूछा । टीचर बोली , “सुबह मैंने बच्चो को ‘मेरी सबसे बड़ी ख्वाइश’ विषय पर कुछ पंक्तिया लिखने को कहा था ; एक बच्चेने इच्छा जाहिर करी है की भगवन उसे टेलीविजन बना दे | यह सुनकर पतिदेव हंसने लगे| टीचर बोली , “आगे तोसुनो बच्चे ने लिखा है यदि मै TV बन जाऊंगा, तो घर में मेरी एक खास जगह होगी और सारा परिवार मेरे इर्द-गिर्द रहेगा | जब मै बोलूँगा, तो सारे लोग मुझे ध्यान से सुनेंगे| मुझेरोका टोकानहीं जायेंगा और नहीं उल्टे सवाल होंगे | जब मैTV बनूंगा, तोपापा ऑफिस से आनेके बाद थकेहोने के बावजूद मेरे साथ बैठेंगे | मम्मी को जब तनावहोगा, तोवेमुझे डाटेंगी नहीं, बल्किमेरे साथ रहना चाहेंगी | मेरेबड़े भाई-बहनों के बीच मेरे पास रहने केलिए झगडा होगा | यहाँतक की जब TV बंद रहेंगा, तब भीउसकी अच्छीतरह देखभाल होंगी | और हा, TV के रूप में मै सबको ख़ुशीभी दे सकूँगा | “ यह सबसुननेके बाद पति भी थोड़ा गंभीर होते हुए बोला , ‘हे भगवान ! बेचारा बच्चा …. उसके माँ-बाप तोउस पर जरा भी ध्यान नहींदेते!’ टीचर पत्नीने आंसूं भरी आँखों से उसकी तरफ देखा और बोली, “जानते हो, यह बच्चा कौन है? ……………………… हमारा अपना बच्चा…….. हमारा छोटू |” सोचिये, यह छोटू कही आपका बच्चा तोनहीं । मित्रों, आज की भाग-दौड़ भरी ज़िन्दगीमें हमें वैसेहीएक दूसरे के लिए कम वक़्त मिलता है , और अगर हम वो भी सिर्फ टीवी देखने , मोबाइलपर गेम खेलने और फेसबुक सेचिपके रहने में गँवा देंगे तो हम कभी अपने रिश्तों कीअहमियतऔर उससे मिलने वाले प्यार को नहीं समझ पायेंगे। चलिए प्रयास करें की हमारी वजह से किसी छोटू को टीवी बननेके बारेमें ना सोचना पड़े!

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  8. y :पचास का नोट / Fifty Rupee Note

    एक व्यक्ति office में देर रात तक काम करने के बाद थका -हारा घर पहुंचा . दरवाजा खोलते ही उसने देखा कि उसका पांच वर्षीय बेटा सोने की बजाये उसका इंतज़ार कर रहा है . अन्दर घुसते ही बेटे ने पूछा —“ पापा , क्या मैं आपसे एक question पूछ सकता हूँ ?” “ हाँ -हाँ पूछो , क्या पूछना है ?” पिता ने कहा .

    बेटा - “ पापा , आप एक घंटे में कितना कमा लेते हैं ?”

    “ इससे तुम्हारा क्या लेना देना …तुम ऐसे बेकार के सवाल क्यों कर रहे हो ?” पिता ने झुंझलाते हुए उत्तर दिया .

    बेटा - “ मैं बस यूँही जानना चाहता हूँ . Please बताइए कि आप एक घंटे में कितना कमाते हैं ?”

    पिता ने गुस्से से उसकी तरफ देखते हुए कहा , “ 100 रुपये .”

    “अच्छा ”, बेटे ने मासूमियत से सर झुकाते हुए कहा -, “ पापा क्या आप मुझे 50 रूपये उधार दे सकते हैं ?”

    इतना सुनते ही वह व्यक्ति आग बबूला हो उठा , “ तो तुम इसीलिए ये फ़ालतू का सवाल कर रहे थे ताकि मुझसे पैसे लेकर तुम कोई बेकार का खिलौना या उटपटांग चीज खरीद सको ….चुप –चाप अपने कमरे में जाओ और सो जाओ ….सोचो तुम कितने selfish हो …मैं दिन रात मेहनत करके पैसे कमाता हूँ और तुम उसे बेकार की चीजों में बर्वाद करना चाहते हो ”

    यह सुन बेटे की आँखों में आंसू आ गए …और वह अपने कमरे में चला गया .

    व्यक्ति अभी भी गुस्से में था और सोच रहा था कि आखिर उसके बेटे कि ऐसा करने कि हिम्मत कैसे हुई ……पर एक -आध घंटा बीतने के बाद वह थोडा शांत हुआ , और सोचने लगा कि हो सकता है कि उसके बेटे ने सच -में किसी ज़रूरी काम के लिए पैसे मांगे हों , क्योंकि आज से पहले उसने कभी इस तरह से पैसे नहीं मांगे थे .

    फिर वह उठ कर बेटे के कमरे में गया और बोला , “ क्या तुम सो रहे हो ?”, “नहीं ” जवाब आया . “ मैं सोच रहा था कि शायद मैंने बेकार में ही तुम्हे डांट दिया , दरअसल दिन भर के काम से मैं बहुत थक गया था .” व्यक्ति ने कहा .

    “I am sorry….ये लो अपने पचास रूपये .” ऐसा कहते हुए उसने अपने बेटे के हाथ में पचास की नोट रख दी .

    “Thank You पापा ” बेटा ख़ुशी से पैसे लेते हुए कहा , और फिर वह तेजी से उठकर अपनी आलमारी की तरफ गया , वहां से उसने ढेर सारे सिक्के निकाले और धीरे -धीरे उन्हें गिनने लगा . यह देख व्यक्ति फिर से क्रोधित होने लगा , “ जब तुम्हारे पास पहले से ही पैसे थे तो तुमने मुझसे और पैसे क्यों मांगे ?”

    “ क्योंकि मेरे पास पैसे कम थे , पर अब पूरे हैं ” बेटे ने कहा .

    “ पापा अब मेरे पास 100 रूपये हैं . क्या मैं आपका एक घंटा खरीद सकता हूँ ? Please आप ये पैसे ले लोजिये और कल घर जल्दी आ जाइये , मैं आपके साथ बैठकर खाना खाना चाहता हूँ .” दोस्तों , इस तेज रफ़्तार जीवन में हम कई बार खुद को इतना busy कर लेते हैं कि उन लोगो के लिए ही समय नहीं निकाल पाते जो हमारे जीवन में सबसे ज्यादा importance रखते हैं. इसलिए हमें ध्यान रखना होगा कि इस आपा-धापी में भी हम अपने माँ-बाप, जीवन साथी, बच्चों और अभिन्न मित्रों के लिए समय निकालें, वरना एक दिन हमें भी अहसास होगा कि हमने छोटी-मोटी चीजें पाने के लिए कुछ बहुत बड़ा खो दिया

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  9. शुभ प्रभात मित्रों,
    सभी भाइयों को निरहुआ का प्रणाम।
    .
    ------ माननीय मूर्खमंत्री के नाम निरहुआ का एक पत्र -------
    .
    प्रेषक-
    निरहुआ क्रांतिकारी 'विद्रोही'
    पी आर टी भवन, शिक्षा मार्ग-2011
    टेट नगर, उत्तर प्रदेश

    सेवा में-
    माननीय मूर्खमंत्री महोदय
    श्री अकल-लेस यादव
    नकटेढ़वा निवास, गली नंबर- 420
    मूर्खनगर, सफा प्रदेश

    विषय- शिक्षामित्रों (भिक्षामित्रों) के समायोजन के सन्दर्भ में
    ````````````````````````````````````````````````````````````
    महोदय (?),
    निरहुआ आपका ध्यान शिक्षामित्रों के समायोजन के सन्दर्भ में जारी घोषणाओं की और आकृष्ट करना चाहूँगा,जिसमें आपने अपनी गर्दभगुणप्रियता का एक और उदाहरण प्रस्तुत किया है। आपकी दूरदर्शिता वास्तव में काबिल-ए-तारीफ़ है, जब बमुशक्कल बारहवीं पास ये शिक्षामित्र पाठन कार्य करेंगे तब दो-चार बच्चे जो आज सरकारी स्कूलों में आ जाते हैं वो भी घर बैठ जायेंगे और तब आप फ़ख्र से अपने भाषण में बोलियेगा कि -' आज यू पी की शिक्षा दर 100% हो गयी है क्योंकि सभी बच्चे शिक्षित हो चुके हैं जिसका सबूत है की कोई अशिक्षित बच्चा पढ़ने ही नहीं आ रहा है'। मूर्खमंत्री जी , शिक्षामित्रों का समायोजन आपके द्वारा किये गए सराहनीय (?) प्रयासों में से एक है, क्या हुआ जो इन ससुरों को 19 तक पहाड़ा भी नहीं आता, क्या हुआ जो उच्चतम न्यायालय के न्यायधीश महोदय द्वारा इन्हें 'शिक्षाशत्रु' कहा जाता है, क्या हुआ जो ये पाठन की योग्यता नहीं रखते, चलो सब तरह से इन्हें शिक्षा व्यवस्था के लिए विष समान मान भी लें तो क्या इतना बड़ा 'वोट बैंक' आप सिर्फ लोगों की आलोचनाओं की वजह से छोड़ देंगे ? कत्तई नहीं भाई, आखिर पहले घर में दिया जलाया जाता है बाद में मंदिर/मस्जिद की बारी आती है ना ? लोगों का क्या है वो तो हमेशा उंगलियां उठाते रहते हैं,कभी कहेंगे की शिक्षामित्रों के पास योग्यता नहीं है तो कभी कहेंगे की ये टेट पास नहीं हैं वगैरह-वगैरह। महोदय (?) आप इन सब बातों पर कत्तई ध्यान ना दें और अपनी गर्दभ नीति जारी रखें क्योंकि इन आरोप लगाने वालों को मालूम ही नहीं है की शिक्षामित्रों के पास योग्यता ना सही किन्तु 'अनुभव' तो है ही और ये शिक्षा क्षेत्र से लम्बे समय से जुड़े भी रहे हैं ( अब भले ही यह बात अलग है की घोड़ों के साथ जुड़ने पर भी गधे तो गधे ही रहते हैं और राजनीति से लम्बे समय तक जुड़े रहने के बावजूद आप आज भी 'राजनैतिक गधे' ही कहे जाते हैं)। वैसे भी निरहुआ अच्छी तरह जानता है की आपका यह समायोजन वाला लोलीपोप ज्यादा दिन नहीं चलने वाला क्योंकि उर्दू भर्ती वालों का हाल दुनिया देख चुकी है और आगामी चुनावों में वो आपको 'दुनिया दिखाने ' ठाने बैठे हैं। ऊपर से ये टेट वाले जल्द ही सुप्रीम कोर्ट का आदेश लिए आपके सिर पर सवार होने वाले हैं, ऐसे में अगर कहीं वोट की उम्मीद झलकती है तो वो है शिक्षामित्रों में। और यह अर्धशिक्षित शिक्षामित्र आसानी से आपके छलावे में आ भी जायेंगे अतः आगामी चुनावों के मद्देनजर आपके द्वारा शिक्षामित्रों को दिया जाने वाला यह लोलीपोप एकदम जायज है। आप निःसंकोच अपना लोलीपोप कार्यक्रम जारी रखिये और 'देश जलाओ- चूतिया बनाओ' अभियान को सार्थक बनाते रहिये।
    धन्यवाद श्रीमान,
    आपका (?)
    'विद्रोही'
    दिनांक- 00 फ़रवरी 2014
    स्थान- टेट नगरी, यू पी

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