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Saturday, February 1, 2014

Retired Teacher as Guest Lecturer in UP हाई कोर्ट ने सरकार को दिया दोबारा स्पष्टीकरण का मौका

Retired Teacher as Guest Lecturer in UP हाई कोर्ट ने सरकार को दिया दोबारा स्पष्टीकरण का मौका

रिटायर प्रवक्ताओं की नियुक्ति का मामला



इलाहाबाद : स्नातक व परा स्नातक (यूजी व पीजी) कालेजों में मानद प्रवक्ताओं की नियुक्ति सेवानिवृत्त (रिटायर) शिक्षकों से करने के खिलाफ दायर याचिका पर सरकार के स्पष्टीकरण से इलाहाबाद हाईकोर्ट के न्यायाधीश संतुष्ट नहीं है। न्यायमूर्ति अरुण टंडन व न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी ने इस मामले को लेकर दायर याचिका पर सरकार के स्पष्टीकरण से नाखुशी जाहिर करते हुए सरकार को एक और मौका विस्तृत स्पष्टीकरण देने के लिए दिया है। याचिका दायर कर वैभव कुमार त्रिपाठी ने कहा है कि सरकार का वह निर्णय गलत है जिसके द्वारा स्नातक व परास्नातक कालेजों में रिटायर शिक्षकों की प्रवक्ताओं के रिक्त पदों पर भर्ती की जा रही है। कहा गया है कि योग्य शिक्षित युवा पर्याप्त मात्रा में उपलब्ध रहने के बावजूद रिटायर शिक्षकों की नियुक्ति कर उनसे काम लेना गलत है। मालूम हो कि कोर्ट ने पिछली तिथि पर प्रमुख सचिव उच्चशिक्षा से इस सिलसिले में जानकारी देने को कहा था कि वह बताएं कि रिटायरािक्षकों को ही क्यों दोबारा लिया जा रहा है। कोर्ट ने यह भी पूछा था कि यूजी व पीजी कालेजों में शिक्षकों के कितने पद रिक्त हैं तथा कितने रिटायर टीचर उपलब्ध हैं। याची का कहना है कि उच्च शिक्षा सेवा चयन आयोग को प्रवक्ताओं की नियुक्ति का अधिकार है। इसके बावजूद हजारों की संख्या में पद खाली हैं। कहा गया है कि प्रदेश सरकार ने सात अप्रैल 1998 के एक शासनादेश के जरिए कालेजों की प्रबंध समितियों को निदेशक के अनुमोदन पर मानद अध्यापकों की नियुक्ति की छूट दी है और इसके तहत हजारों अध्यापक पढ़ा रहे हैं। याचिका दायर कर कहा गया है कि प्रदेश सरकार ने 1998 के शासनादेश का प्रभाव नये शासनादेश 25 नवम्बर 2013 को लाकर समाप्त कर दिया है। कहा गया है कि सरकार का यह कृत्य गैर कानूनी है। याची लाल बहादुर शास्त्री स्मारक पीजी कालेज, आनंद नगर, महाराजगंज में शारीरिक शिक्षक पद पर मानद प्रवक्ता है।