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Monday, February 9, 2015

एचएसबीसी में भारतीयों की सूची हुई दोगुनी, 1195 नाम और जमा रकम 25420 करोड़

BREAKING NEWS : एचएसबीसी में भारतीयों की सूची हुई दोगुनी, 1195 नाम और जमा रकम 25420 करोड़


News source Sabhar : Written by जनसत्ता | नई दिल्ली | Posted: February 9, 2015 8:34 am | Updated: February 9, 2015 at 9:23 am

द इंडियन एक्सप्रेस-ल मोंदे-इंटरनेशनल कंसोर्टियम आॅफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स की साझा खोजबीन। (स्रोत-एक्सप्रेस)
रितु सरीन

शायद इसे ही स्विस लीक कहते हैं। एचएसबीसी बैंक के स्विट्जरलैंड में कारोबार करने वाली इकाई स्विस प्राइवेट बैंक में गोपनीय खाता रखने वालों और 2009-2007 तक इसमें जमा रकम से जुड़ी जानकारियां उजागर हो गई हैं। सूची में 200 देशों के नागरिकों के नाम हैं और इनके खातों में सौ अरब से ज्यादा की रकम जमा है। पर एचएसबीसी के स्विस प्राइवेट बैंक से जुड़ी जानकारियां पूर्व में लीक हो जाने के बाद कही भी इतना बड़ा राजनीतिक बवेला नहीं मचा जितना कि भारत में।

इसी को देखते हुए ‘द इंडियन एक्सप्रेस’ ने सूची में शामिल भारतीय खातेदारों के नाम हासिल करने के लिए फ्रांस की राजधानी पेरिस से निकलने वाले अखबार ‘ल मोंदे’ और वॉशिंगटन स्थित इंटरनेशनल कंसोर्टियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (आइसीआइजे) से हाथ मिलाया। खोजबीन की यह प्रक्रिया तीन महीने तक चली।

List: HSBC के कुछ खाताधारक और उनकी जमा रकम (रुपए में)

इस खोजबीन में एचएसबीसी की स्विस शाखा में 1195 भारतीयों के खाते होने का पता चला। यह संख्या 2011 में फ्रांसीसी अधिकारियों द्वारा भारत को सौंपी गई 628 नामों से लगभग दोगुना है। संभावना है कि नए खुलासों के बाद काले धन की जांच कर रहे विशेष जांच दल (एसआइटी) की जांच के दायरे में खासा इजाफा होगा।

एचएसबीसी की सूची में शामिल कुछ बड़े नाम

उद्योगपति:
एचएसबीसी की इस सूची में देश के सबसे अमीर मुकेश अंबानी, उनके भाई अनिल अंबानी, आनंद चंद बर्मन, राजन नंदा, यशोवर्धन बिड़ला, चंद्रू लक्ष्मण दास रहेजा, दत्ताराज सलगावकर, भद्रश्याम कोठारी और श्रवण गुप्ता।

हीरा व्यवसायी:
इसमें देश के शीर्ष हीरा व्यवसायियों के नाम शामिल हैं। इसमें कई विदेश में बस चुके हैं पर यहां उन्हीं के नाम दिए जा रहे हैं जिनके पते मुंबई के हैं। इनमें रसेल मेहता, अनूप मेहता, सौनक पारीख, चेतन मेहता, गोविंद भाई ककाड़िया और विपुल शाह के नाम हैं।

राजनीतिज्ञ:
खातेदारों की सूची में कई राजनीतिज्ञों के भी नाम हैं। यह और बात है कि इनमें से ज्यादातर स्विस खाते होने से इनकार करते रहे हैं। इसमें यूपीए सरकार में मंत्री रहीं प्रणीत कौर, पूर्व कांग्रेस सांसद अन्नू टंडन, महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे, उनकी पत्नी नीलम नारायण राणे और पुत्र नीलेश राणे, कांग्रेस नेता व पूर्व केंद्रीय मंत्री वसंत साठे के परिवारजनों और बाल ठाकरे की पुत्रवधू स्मिता ठाकरे के नाम भी हैं।

प्रवासी भारतीय व भारतीय मूल के नागरिक:
इसमें कई बड़े नाम शामिल हैं। जैसे कि स्वराज पाल, मनु छाबरिया के परिवार के सदस्य, राजेंद्र रुइया/विमल रुइया और नरेश कुमार गोयल।

एचएसबीसी का मुख्यालय लंदन में है। जब इस बैंक को खातेदारों के बाबत चल रही वैश्विक जांच की जानकारी दी गई तो पहले तो बैंक ने इस बारे में आइसीआइजे की ओर से जुटाई गई जानकारियों को नष्ट करने पर जोर डाला। लेकिन जब उसे इस रिपोर्टिंग टीम की व्यापक खोजबीन और इससे मिली जानकारियों (106,458 खातेदारों और बड़े नेताओं, हीरा व्यवसायियों, हथियार सौदागरों और ड्रग कार्टेल के सदस्यों से जुड़ी सूचनाओं) के बारे में बताया गया तो एचएसबीसी ने कहा कि हम इस बात को मानते हैं कि एचएसबीसी के स्विस प्राइवेट बैंक में नियमों के पालन व खातेदारों के बारे में तहकीकात में लापरवाही बरती गई। पर उस समय बैंकिंग उद्योग में नियम कानून लचर थे और उनका पालन आज की तरह सख्ती से नहीं होता था।

बैंक ने कहा कि अब वह नए सिरे से इस पर ध्यान दे रहा है। इसी का नतीजा है कि 2007 के बाद से एचएसबीसी का स्विस प्राइवेट बैंक अपने 70 फीसद खातेदारों के खाते हटा चुका है।

एचएसबीसी के खाताधारकों की तलाश ‘इंडियन एक्सप्रेस’ को राष्ट्रीय राजधानी के गोल्फ लिंक, वसंत कुंज और गौतम नगर इलाके तक ले गई। वहीं मुंबई के अधिकांश खाताधारक नेपियन सी रोड से लेकर घाटकोपर तक फैले थे। कुछ खाताधारकों के पते फगवाड़ा, कोटयम, श्रीनगर, लुधियाना और शिमला जैसे छोटे शहरों के हैं।

ये दिलचस्प आंकड़े उस सूची में दिए गए हैं, जिनमें सैकड़ों अनिवासी भारतीयों (एनआरआइ) के नाम शामिल हैं। उदाहरण के लिए, 84 साल के एनी मीनाड, जो कि केरल के कन्नूर में पैदा हुए। इनका खाता दुबई में खोला गया था, जिसमें एक लाख 20 डालर की रकम थी। इसके अलावा कुछ रहस्यमय खाताधारक भी हैं, ऐसा ही एक खाता एचजीपी के नाम से है, जो कोलकाता में पैदा हुए किसी ब्रितानी नागरिक का है। स्टेटमेंट में इस व्यक्ति का पता कार्लटन हाउस टेरेस दिया गया है। इस खाताधारक ने बैंक से अनुरोध किया था कि उसके सभी तरह के लेन-देन को सेफ डिपाजिट बॉक्स में रखा जाए। 74 साल के इस व्यक्ति के खाते में 13.35 करोड़ डालर की राशि है। खोजबीन में पता चला है कि इस सूची में 276 खाताधारक ऐसे हैं, जिनके खाते में कम से कम 10 लाख डालर की रकम हैं। इनमें से 85 खाताधारक भारत में ही रहते हैं।

इस सूची में सबसे अधिक पैसा जिसके खाते में है, वो हैं कोलकाता में पैदा हुए कपड़ा व्यवसायी महेश टीकम थारानी। वो अब अमेरिका में रहते हैं। उनके खाते में करीब साढ़े नौ करोड़ डालर की रकम थी। इस सूची में जिस व्यक्ति के खाते में सबसे कम पैसा है, वो है गुजरात में पैदा हुए ब्रितानी नागरिक नमन सरवर मलिक है। जिनके खाते में 669 डालर की रकम थी।

इंडियन इक्सप्रेस ने सात अगस्त 2011 को यह खबर छापी थी कि फ्रांसीसी अधिकारियों ने एचएसबीसी के सात सौ खाताधारकों का विवरण सौंपा है। चूंकि यह मामला कई देशों में फैला था और कर चोरों की तलाश तेज हुई थी।
नवंबर 2012 में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व वाले इंडिया अगेंस्ट करप्शन ने कुछ खाता धारकों के नाम जारी किए थे। अब इस ताजी सूची को देखने से पता चला है कि उन्होंने जिन लोगों के नाम गिनाए थे, उनमें से कुछ सही थे।
सरकार की अब तक की कार्रवाई

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के शीर्ष अधिकारियों ने बताया कि एचएसबीसी खाताधारकों की 3150 करोड़ रुपए की अघोषित आय का पता लगाया जा चुका है। लेकिन साथ ही यह भी कहा कि हमें मिले आंकड़ों में कुछ खामियां हैं। करीब 200 खाताधारकों के खाते में कोई रकम नहीं है, जबकि 211 खाते अप्रवासी भारतीयों के निकले।

सीबीडीटी के एक आला अफसर ने बताया कि हम हरेक से संपर्क कर रहे हैं और कोई गुंजाइश नहीं छोड़ रहे हैं। अधिकारी ने कहा- हम इस बात की जांच कर पता लगा रहे हैं कि संबंधित अवधि के दौरान खाताधारक के एनआरआइ दर्जे की स्थिति क्या थी।

सीबीडीटी और एसआइटी समय-समय पर सुप्रीम कोर्ट को इस तरह की ताजा जानकारी मुहैया कराती रही
है। सीबीडीटी अधिकारी ने कहा कि कर वसूली,जुर्माना और मामले की सुनवाई का काम भी जारी है।

हालांकि एक और बड़ा मसला है जिसे लेकर सीबीडीटी अधिकारी परेशान हैं। सीबीडीटी अभी तक यह फैसला नहीं कर पाया है कि क्या इस मामले में एचएसबीसी और इसके अधिकारियों को भी जांच के दायरे में लाया जाना चाहिए। 27 अक्तूबर, 2014 के एक गोपनीय नोट के मुताबिक एचएसबीसी और इसके अधिकारियों की इन खातों को खुलवाने और खातों के परिचालन में रही भूमिका की जांच कराने की जरूरत है।

सीबीडीटी अधिकारियों के मुताबिक पिछले महीने तक 27 एचएसबीसी खाताधारकों ने जुर्माना अदा कर दिया था और 15 लोग खातों के बारे में जानकारी छिपाने के मामले में आयकर विभाग की कार्रवाई का सामना कर रहे हैं।