/* remove this */ Blogger Widgets /* remove this */

Saturday, June 16, 2012

UPTET : मृतक आश्रितों को भी बिना टीईटी मास्टरी नहीं


UPTET : मृतक आश्रितों को भी बिना टीईटी मास्टरी नहीं

इलाहाबाद : मृतक आश्रित कोटे के तहत प्राथमिक शिक्षक बनने के लिए शिक्षक योग्यता परीक्षा (टीईटी) को अनिवार्य योग्यता घोषित किया गया है। शिक्षा के अधिकार अधिनियम की नियमावली के तहत यह नियम लागू किया गया है

अप्रैल 2010 को शिक्षा का अधिकार अधिनियम लागू किया गया। उत्तर प्रदेश सरकार ने 27 जुलाई 2011 को इस अधिनियम के लिए नियमावली लागू की। इस नियमावली के संदर्भ में जारी एक शासनादेश के तहत 27 जुलाई 2011 के बाद किसी भी रूप में प्राथमिक शिक्षक की नियुक्ति के लिए टीईटी को अनिवार्य योग्यता माना गया है। इसी प्रकार मृतक आश्रित कोटे के तहत अध्यापक बने वह अभ्यर्थी जिन्होंने टीईटी की परीक्षा नहीं पास की है, के चयन को रद किए जाने की घोषणा की गई है। इस नियम के चलते कई शिक्षकों को अपनी नौकरी खोनी पड़ सकती है

पूर्व व्यवस्था के अनुसार, मृतक आश्रित कोटे के तहत अध्यापक बनने वाले अभ्यर्थियों को सेवाकाल के दौरान ही बीटीसी की ट्रेनिंग दी जाती थी।


वर्जन
जिले में अब तक सोरांव में एक मामला संज्ञान में आया है। संबंधित अध्यापक का नियमानुसार वेतन रोकने और सेवामुक्ति के लिए नोटिस जारी करने की कार्रवाई प्रारंभ की गई हैं।
दिनेश कुमार यादव, बेसिक शिक्षा अधिकारी


News Source : Jagran.com (15.6.12)

15 comments:

  1. is article mein time galat mention ki ya hai plz ise thik kiya jaye

    ReplyDelete
  2. is article mein time galat mention ki ya hai plz ise thik kiya jaye

    ReplyDelete
  3. dosto.. 10 se b.ed tak k gunak kase nikale h..plze tal me

    ReplyDelete
  4. Case Status - Allahabad
    Pending
    Writ - A : 76039 of 2011 [Varanasi]
    Petitioner: YADAV KAPILDEV LAL BAHADUR
    Respondent: STATE OF U.P. & OTHERS
    Counsel (Pet.): ALOK KUMAR YADAV
    Counsel (Res.): C.S.C.
    Category: Service-Writ Petitions Relating To Primary Education (teaching Staff) (single Bench)-Appointment
    Date of Filing: 21/12/2011
    Last Listed on: 31/05/2012 in Court No. 7
    Next Listing Date (Likely): 03/07/2012
    This is not an authentic/certified copy of the information regardingstatus of a case. Authentic/certified information may be obtained under Chapter VIII Rule 30 of Allahabad High Court Rules. Mistake, if any, may bebrought to the notice of OSD (Computer).

    ReplyDelete
  5. टीईटी से मुक्ति की कवायद Updated on: Sat, 16 Jun 2012 11:14 PM (IST)
    0
    0 Google +
    0
    0
    New ShareThis
    0 Email
    - शिक्षामित्रों को बंधी उम्मीद, मृतक आश्रित भी कतार में
    - बीएड डिग्रीधारक भी मुखर, आचार संहिता खत्म होने पर टीईटी पर फैसला संभव
    जागरण संवाददाता, सहारनपुर : टीईटी से मुक्ति पाने के लिए इन दिनों छटपटाहट तेज होने लगी है। शिक्षामित्र, मृतक आश्रित व बीएड डिग्रीधारकों के पास इसके लिए अपने-अपने तर्क हैं। हालांकि अभी यह साफ नहीं है कि यह छूट किस-किस को मिलसकेगी। माना जा रहा कि निकाय चुनाव की आचार संहिता के बाद सरकार निर्णायक फैसला लेगी।
    सूबे में टीईटी का संकट खत्म होने के आसार नजर आने लगे हैं। मुख्यमंत्री अखिलेश यादव द्वारा पिछले दिनों मामले में सकारात्मक संकेत दिए थे। इसके बाद से ही माना जा रहा है कि सरकार मामले में सैद्धांतिक रूप से निर्णय ले चुकी है और निकाय चुनाव की आचार संहिता के बाद इसकी घोषणा कर दी जाएगी। बताते चलें कि टीईटी लागू होने के बाद से प्रदेश भर में मृतक आश्रित कोटे में प्राइमरी स्कूलों में अनट्रेंड शिक्षकों की भ‌र्त्ती नहीं हो पा रही है। जिले में करीब 18मामले ऐसे हैं। सूत्रों के मुताबिक, सरकार मृतक आश्रितों को टीईटी से मुक्त रखने का मन बना चुकी है। उत्तर प्रदेश शिक्षा मित्र संघ के मंडल अध्यक्ष व नरेश कुमार ने भी दावा किया है कि प्रदेशाध्यक्ष गाजी इमामआला के नेतृत्व में बेसिक शिक्षा मंत्री से मिले प्रतिनिधिमंडल को आश्वस्त किया गया है कि शिक्षामित्रों को बगैर टीईटी के प्राइमरी शिक्षकों के रूप में नियुक्त करने के लिए सरकार गंभीर है।
    नियुक्ति के पक्ष में तर्क
    उप्र शिक्षामित्र संघ के जिलाध्यक्षनरेश कुमार का कहना है कि उनकी नियुक्ति धारा-23 के अंतर्गत है। इसलिए उनका शिक्षक पदों पर केवल आमेलन किया जाना है। शिक्षामित्रों की नियुक्ति एक निश्चित प्रक्रिया के अनुसार हुई है, जबकि नए शिक्षकों की नियुक्ति धारा-26 के अंतर्गत होती है। यही आधार उनकी टीईटी से मुक्ति का कारण होगा।
    बीएड डिग्रीधारकों को मिले छूट
    उत्तर प्रदेश प्रशिक्षित स्नातक संघके जिलाध्यक्ष विजेन्द्र तोमर व कोषाध्यक्ष नफे सिंह का कहना है कि बीएड डिग्रीधारकों की प्राइमरी स्कूलों में नियुक्ति उनके डिग्री वर्ष के आधार पर वरीयतानुसार सीधे होनी चाहिए। वे पहले से ही प्रशिक्षित हैं, ऐसे में उन पर टीईटी थोपा जाना पूरी तरह गलत है। सरकार को उन्हें टीईटी से अलग रखने के लिए कदम उठाने चाहिए।

    ReplyDelete
  6. Ye kutte,haramjade,kamine kisi ko naukri nahi paane denge.

    ReplyDelete
  7. Saharanpur me kaise kaise log hai enko ye bhi samajh me nahi aata ki jab tet se sabhi ko mukti mil jayegi to kahe ka tet par faisala???

    ReplyDelete
  8. Hi!Friends,saharanpur me ek bande ne rule ka bhi hawala diya hai aaplog jara ese pata kijiye ki kya vastav me aisa ho sakta hai???
    जिलाध्यक्षनरेश कुमार का कहना है कि उनकी नियुक्ति धारा-23 के अंतर्गत है। इसलिए उनका शिक्षक पदों पर केवल आमेलन किया जाना है। शिक्षामित्रों की नियुक्ति एक निश्चित प्रक्रिया केअनुसार हुई है, जबकि नए शिक्षकों की नियुक्ति धारा-26 के अंतर्गत होती है। यही आधार उनकी टीईटी से मुक्ति काकारण होगा।

    ReplyDelete
  9. अब सीबीआइ करेगी फर्जीवाड़े की जांच Updated on: Sun, 17 Jun 2012 01:02 AM (IST)
    0
    0 Google +
    0
    0
    New ShareThis
    0 Email
    संस्कृत विश्वविद्यालय
    ---------------
    -कुलपति ने शासन को पत्र भेजने का लिया निर्णय
    वाराणसी : संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन ने अंकपत्रों व प्रमाण पत्रों में फर्जीवाड़े को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच अब सीबीआइ से कराने का निर्णय लिया है। अभी यह जांच सीबीसीआईडी कर रही है।
    कुलपति प्रो. बिंदा प्रसाद मिश्र ने शनिवार को बताया कि फर्जीवाड़े की व्यापक जांच के लिए शासन को पत्र लिखा जाएगा। इसमें शासन से सीबीआइ सेजांच कराने की संस्तुति का अनुरोध किया जाएगा।
    गौरतलब है कि बीटीसी व विशिष्ट बीटीसी में बड़े पैमाने पर संस्कृत विश्वविद्यालय के डिग्रीधारी चयनित हुए हैं। इन शिक्षकों के अंकपत्र के सत्यापन में फर्जीवाड़े की पोल खुलती जा रही है। ज्यादातर शिक्षकों की डिग्री फर्जी निकल रही है। इसे देखते हुए शासन ने फर्जीवाड़े की जांचसीबीसीआईडी को सौंपी है। पिछले एक वर्ष में सीबीसीआईडी इसकी जांच कर रही है। इस क्रम में जांच टीम कई बार विश्वविद्यालय में अंकपत्रों का सत्यापन कराने आ चुकी है इसके बावजूदअभी तक जालसाजों पर शिकंजा नहीं कसा जा सका है। दूसरी ओर यहां से भेजी जा रही सत्यापन रिपोर्ट दबाने का भी कुछडायटों पर आरोप है। डायटों के पास विश्वविद्यालय के समानांतर एक और सत्यापन रिपोर्ट पहुंच जा रही है। दोनों रिपोर्ट एक-दूसरे से भिन्न है।ऐसे में दो-दो सत्यापन रिपोर्ट मिलनेसे डायटों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि वह किसे वैध व किसे अवैध मानें। पिछले दिनों ही एक डायट से दोनों सत्यापन रिपोर्ट विश्वविद्यालय भेजी गई थी। इसमें तीसरी बार जांच कराने का अनुरोध कियागया हैं। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन अब सत्यापन रिपोर्ट में प्राथमिकी दर्ज कराने का भी सुझाव दे रहा है

    ReplyDelete
  10. अब सीबीआइ करेगी फर्जीवाड़े की जांच Updated on: Sun, 17 Jun 2012 01:02 AM (IST)
    0
    0 Google +
    0
    0
    New ShareThis
    0 Email
    संस्कृत विश्वविद्यालय
    ---------------
    -कुलपति ने शासन को पत्र भेजने का लिया निर्णय
    वाराणसी : संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन ने अंकपत्रों व प्रमाण पत्रों में फर्जीवाड़े को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच अब सीबीआइ से कराने का निर्णय लिया है। अभी यह जांच सीबीसीआईडी कर रही है।
    कुलपति प्रो. बिंदा प्रसाद मिश्र ने शनिवार को बताया कि फर्जीवाड़े की व्यापक जांच के लिए शासन को पत्र लिखा जाएगा। इसमें शासन से सीबीआइ सेजांच कराने की संस्तुति का अनुरोध किया जाएगा।
    गौरतलब है कि बीटीसी व विशिष्ट बीटीसी में बड़े पैमाने पर संस्कृत विश्वविद्यालय के डिग्रीधारी चयनित हुए हैं। इन शिक्षकों के अंकपत्र के सत्यापन में फर्जीवाड़े की पोल खुलती जा रही है। ज्यादातर शिक्षकों की डिग्री फर्जी निकल रही है। इसे देखते हुए शासन ने फर्जीवाड़े की जांचसीबीसीआईडी को सौंपी है। पिछले एक वर्ष में सीबीसीआईडी इसकी जांच कर रही है। इस क्रम में जांच टीम कई बार विश्वविद्यालय में अंकपत्रों का सत्यापन कराने आ चुकी है इसके बावजूदअभी तक जालसाजों पर शिकंजा नहीं कसा जा सका है। दूसरी ओर यहां से भेजी जा रही सत्यापन रिपोर्ट दबाने का भी कुछडायटों पर आरोप है। डायटों के पास विश्वविद्यालय के समानांतर एक और सत्यापन रिपोर्ट पहुंच जा रही है। दोनों रिपोर्ट एक-दूसरे से भिन्न है।ऐसे में दो-दो सत्यापन रिपोर्ट मिलनेसे डायटों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि वह किसे वैध व किसे अवैध मानें। पिछले दिनों ही एक डायट से दोनों सत्यापन रिपोर्ट विश्वविद्यालय भेजी गई थी। इसमें तीसरी बार जांच कराने का अनुरोध कियागया हैं। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन अब सत्यापन रिपोर्ट में प्राथमिकी दर्ज कराने का भी सुझाव दे रहा है

    ReplyDelete
  11. अब सीबीआइ करेगी फर्जीवाड़े की जांच Updated on: Sun, 17 Jun 2012 01:02 AM (IST)
    0
    0 Google +
    0
    0
    New ShareThis
    0 Email
    संस्कृत विश्वविद्यालय
    ---------------
    -कुलपति ने शासन को पत्र भेजने का लिया निर्णय
    वाराणसी : संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय प्रशासन ने अंकपत्रों व प्रमाण पत्रों में फर्जीवाड़े को गंभीरता से लेते हुए इसकी जांच अब सीबीआइ से कराने का निर्णय लिया है। अभी यह जांच सीबीसीआईडी कर रही है।
    कुलपति प्रो. बिंदा प्रसाद मिश्र ने शनिवार को बताया कि फर्जीवाड़े की व्यापक जांच के लिए शासन को पत्र लिखा जाएगा। इसमें शासन से सीबीआइ सेजांच कराने की संस्तुति का अनुरोध किया जाएगा।
    गौरतलब है कि बीटीसी व विशिष्ट बीटीसी में बड़े पैमाने पर संस्कृत विश्वविद्यालय के डिग्रीधारी चयनित हुए हैं। इन शिक्षकों के अंकपत्र के सत्यापन में फर्जीवाड़े की पोल खुलती जा रही है। ज्यादातर शिक्षकों की डिग्री फर्जी निकल रही है। इसे देखते हुए शासन ने फर्जीवाड़े की जांचसीबीसीआईडी को सौंपी है। पिछले एक वर्ष में सीबीसीआईडी इसकी जांच कर रही है। इस क्रम में जांच टीम कई बार विश्वविद्यालय में अंकपत्रों का सत्यापन कराने आ चुकी है इसके बावजूदअभी तक जालसाजों पर शिकंजा नहीं कसा जा सका है। दूसरी ओर यहां से भेजी जा रही सत्यापन रिपोर्ट दबाने का भी कुछडायटों पर आरोप है। डायटों के पास विश्वविद्यालय के समानांतर एक और सत्यापन रिपोर्ट पहुंच जा रही है। दोनों रिपोर्ट एक-दूसरे से भिन्न है।ऐसे में दो-दो सत्यापन रिपोर्ट मिलनेसे डायटों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है कि वह किसे वैध व किसे अवैध मानें। पिछले दिनों ही एक डायट से दोनों सत्यापन रिपोर्ट विश्वविद्यालय भेजी गई थी। इसमें तीसरी बार जांच कराने का अनुरोध कियागया हैं। इसे देखते हुए विश्वविद्यालय प्रशासन अब सत्यापन रिपोर्ट में प्राथमिकी दर्ज कराने का भी सुझाव दे रहा है

    ReplyDelete
  12. Hi!Friends,saharanpur me ek bande ne rule ka bhi hawala diya hai aaplog jara ese pata kijiye ki kya vastav me aisa ho sakta hai???
    जिलाध्यक्षनरेश कुमार का कहना है कि उनकी नियुक्ति धारा-23 के अंतर्गत है। इसलिए उनका शिक्षक पदों पर केवल आमेलन किया जाना है। शिक्षामित्रों की नियुक्ति एक निश्चित प्रक्रिया केअनुसार हुई है, जबकि नए शिक्षकों की नियुक्ति धारा-26 के अंतर्गत होती है। यही आधार उनकी टीईटी से मुक्ति काकारण होगा।

    ReplyDelete
  13. Hi!Friends,saharanpur me ek bande ne rule ka bhi hawala diya hai aaplog jara ese pata kijiye ki kya vastav me aisa ho sakta hai???
    जिलाध्यक्षनरेश कुमार का कहना है कि उनकी नियुक्ति धारा-23 के अंतर्गत है। इसलिए उनका शिक्षक पदों पर केवल आमेलन किया जाना है। शिक्षामित्रों की नियुक्ति एक निश्चित प्रक्रिया केअनुसार हुई है, जबकि नए शिक्षकों की नियुक्ति धारा-26 के अंतर्गत होती है। यही आधार उनकी टीईटी से मुक्ति काकारण होगा।

    ReplyDelete
  14. what nonsense is this ?how can it be possible ?totally fake .

    ReplyDelete

Please do not use abusive/gali comment to hurt anybody OR to any authority. You can use moderated way to express your openion/anger. Express your views Intelligenly, So that Other can take it Seriously.
कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय अभद्र शब्द या भाषा का प्रयोग न करें। अभद्र शब्दों या भाषा का इस्तेमाल आपको इस साइट पर राय देने से प्रतिबंधित किए जाने का कारण बन सकता है। टिप्पणी लेखक का व्यक्तिगत विचार है और इसका संपादकीय नीति से कोई संबंध नहीं है। प्रासंगिक टिप्पणियां प्रकाशित की जाएंगी।