/* remove this */ Blogger Widgets /* remove this */

Saturday, May 18, 2013

UPTET : शिक्षकों के पौने तीन लाख पद खाली


UPTET : शिक्षकों के पौने तीन लाख पद खाली

UPTET - Teacher Eligibility Test Updates / Recruitment News

 लखनऊ : सूबे में परिषदीय स्कूलों में शिक्षकों के तकरीबन पौने तीन लाख पद खाली हैं 

जिनमें से 58 हजार से अधिक पद उच्च प्राथमिक स्कूलों के विज्ञान और गणित विषयों के शिक्षकों के हैं

प्रदेश में बेसिक शिक्षा परिषद से संचालित 1.14 लाख प्राथमिक और 45 हजार उच्च प्राथमिक स्कूलों में 1.85 करोड़ बच्चे नामांकित हैं। शिक्षा के अधिकार अधिनियम के मुताबिक प्राथमिक कक्षाओं में शिक्षक-छात्र अनुपात 1:30 और उच्च प्राथमिक कक्षाओं में 1:35 होना चाहिए लेकिन

 परिषदीय स्कूलों में तैनात 1.72 लाख शिक्षामित्रों को शामिल करने के बाद भी मौजूदा शिक्षक-छात्र अनुपात 1:39 है।

125 हजार करोड़ रुपये खर्च 
वित्तीय वर्ष 2013-15 के बजट में बेसिक शिक्षा के लिए 21,520 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया गया था
 इसके अलावा सर्व शिक्षा अभियान के तहत लगभग 4000 करोड़ रुपये केंद्रांश के रूप में मिलेंगे। इस भारी-भरकम धनराशि का बड़ा हिस्सा शिक्षकों के वेतन पर खर्च होगा।

मूल्यांकन कराये सर्व शिक्षा अभियान1प्रदेश के शैक्षिक परिदृश्य को लंबे समय से करीब से देखने वाले पूर्व शिक्षा निदेशक एलपी पांडेय बेसिक शिक्षा के हालात को उत्साहजनक नहीं मानते। वह कहते हैं कि सर्व शिक्षा अभियान को परिषदीय स्कूलों में गुणवत्तापरक शिक्षा का हाल जानने के लिए एक स्वतंत्र एजेंसी से अध्ययन कराना चाहिए। तभी सरकरी स्कूलों में शिक्षा की सही तस्वीर सामने आयेगी। उनके मुताबिक कक्षा शिक्षण जितना अच्छा और प्रभावी होगा।1समन्वित प्रयास से होगा शैक्षिक सुधार1प्रमुख सचिव बेसिक शिक्षा सुनील कुमार मानते हैं कि सबको शिक्षा मुहैया कराने की कोशिश में अब तक अवस्थापना सुविधाएं मुहैया कराना विभाग की प्राथमिकता थी। किन्हीं कारणों से शिक्षा की गुणवत्ता पर समुचित ध्यान नहीं दिया गया। शिक्षा की गुणवत्ता के लिए शिक्षा से जुड़े सभी पक्षकारों को समन्वित प्रयास करना होगा


News Source / Sabhaar : जागरण (18.5.13)


45 comments:

  1. कपिल जी आपका कोटिशः धन्यवाद ,आपकी ही वजह
    से मेरा ईश्वर कहो ,खुदा कहो या उपर वाला ,इन
    चीजोँ मेँ मुझे दृढ़ विश्वास हो गया है । लोगोँ से मैँ
    अक्सर ये दो बातेँ सुनता था , पहली "उपर वाले के
    घर देर है अंधेर नहीँ " दूसरी " उपर वाला बुरे
    लोगोँ की मंशा कभी सफल नहीँ होने देता है "।
    मान्यवर कपिल जी ,आपकी हाई कोर्ट मेँ
    याचिका दाखिल करने की नीयत के बारेँ मेँ सोच कर
    मेरे मन मेँ आपकी जो तस्वीर उभरती है शायद लोग
    उसे दानव कहते हैँ ।
    हे दानव तेरी ईच्छा थी कि टेट मेरिट से
    मेरा तो होगा नहीँ तो मैँ भी किसी की नौकरी नहीँ लगने
    दूंगा । तुने सोचा था कि अगर ये विज्ञापन निरस्त
    हो गया तो 1 जनवरी 2012 की समय सीमा समाप्त
    होने के बाद बी . एड . वालो का खेल ही खत्म
    हो जायेगा मतलब मेरा नहीँ तो किसी का नहीँ ।
    हे अधम चाहे एकेडमिक वाले होँ या बी . टी . सी .
    वाले सबने न्यायालय से वही मांगा जिससे
    की उनका चयन सम्भव था लेकिन नीच तूने
    तो सबका विनाश करने वाली याचना की थी ।
    लेकिन अब तू ऊपर वाले की करामात देख , पहले
    तो उसने इस पतित सरकार के माध्यम से ही बी एड
    वालोँ के लिये समय सीमा बढ़वाया और फिर शुरु
    हो चुकी काउन्सलिँग को रुकवा दिया । देखा ना उपर
    वाले ने पहले तेरी मंशा को विफल किया और फिर उसने
    वो काम किया जिससे तू अपने नीच कर्मोँ का कोई
    लाभ ना लेने पाये ।
    मेरा ये पोस्ट तुझे या तेरे अंध-भक्तोँ को तो समझ मेँ
    नही आयेगा लेकिन मेरी तरह के लोग जो ऊपर वाले पर
    कम यकीन करते हैँ अब उन्हेँ ईश्वर या खुदा या गॉड
    पर किँचित मात्र भी संदेह नहीँ बचेगा ।


    .
    .
    .
    1 baat aur agar teri naukari lag gayi to main usi din apni naukari...................naitik jimmedaari lete huwe.............

    ReplyDelete
  2. ............ tet merit ka t.b se koi matlab nahi hai


    iska faisla d.b. se hi aayega
    aur tet merit ka hi aayega kyonki hum log lad rahe hain
    acd waale kahi bhi koi party nahi hain

    kya d.b. ke order ko single bench me challange kiya ja sakta hai????????????????????

    d. b. ke againest kewal d. b. ya t. b. ya fir s.c. me hi jaaya jaata hai



    agar govt. ke chaahne se sab kuchh hota to sabse pahle wo STAY.......

    ReplyDelete
  3. mr.tet merrit nahe to bharti bhi nahe Agar aisa he tub jeet hamari he hogi.Tub acd wale gaand cheer kr mr jayenge

    ReplyDelete
  4. rajeev
    ........... aap teacher banne ja rahe ho gaali galouj................

    ReplyDelete
  5. aaj main clear kar dun
    ........
    1 main female hun
    2-tet score 122
    3-accd 67.921
    4 cat. S.T.
    5- main MARUTI SUZUKI me C.E.O. hun
    6 mera ghar JAHANGEERGANJ me hai
    7.-main unmarried hun
    8- mere father kanpur me S.I. hain
    9- meri salary 18000+++++ hai
    10-aur mujhe post likhna nahi aata hai
    11- post likhne ke liye mere paas time bhi nahi hai
    12-ye kaam mera C.A.karta hai
    13- aap logon se baat karne ke liye wahi qaafi hai
    14-har baar court me mera c.a. jaata hai
    15- maine 1 personal lawyer kiya hai alld me tet samandhi jaankari ke liye
    15-sach me mujhe bilkul time nahi hai

    ReplyDelete
  6. एक बार बादशाह अकबर जंगल में घूमने के लिए निकलें। रास्ते में चलते-चलते नमाज का वक्त हुआ। बादशाह ने दरी बिछाकर नमाज पढना शुरु किया। इतने में एक युवती अपने पतिदेव को ढूंढती हुई उधर से निकली। उसका ध्यान दरी पर नहीं होने से वह उस पर पैर रखकर निकल गई।

    बादशाह ने देखा तो वे गुस्सा हो उठे। वे बोले-क्या तुम्हें यह दिखाई नहीं दिया की मैं नमाज पढ रहा हूं? मैं खुद की बंदगी में लीन था, यह देखते हुए भी तुम मेरी दरी पर पैर रखकर चली गईं। युवती ने यह बात सुनी, तो जवाब मे उसने एक दोहा पढा-

    “नर राची सूझी नहीं, तुम कस लख्यों सुजान। पढि कुरान बौरे भयो, नहीं राच्यौ रहमान॥”

    मैं तो अपने प्रियतम की खोज मैं मग्न थी, इसलिए मेरा ध्यान आपकी ओर नहीं गया, मगर आप तो भगवान की भक्ति में लीन थे, फिर भला आपने मुझे कैसे देख लिया। लग्ता है आपका ध्यान नमाज की ओर नहीं, मेरी ओर था जबकि मेरा ध्यान मेरे प्रिय में होने से आपकी तरफ नही था।

    युवती की बात सुनकर अकबर ने कहा-अब वह नमाज पढते समय अपना पूरा खयाल खुदा में रखेगा।

    ReplyDelete
  7. mai galle nahe dena chata but kuch loge aisa karne pr majboor karte h.Real life m es taraha ke bhasa use nahe karta. Ab m jab tak es taraha ke bhasa ko use nahe karonga jab tak koi mere ya aapke baare m galat nahe bolega.

    ReplyDelete
  8. yaar CEO ki salary 18000+++ bhai apki salary to jaida honi chahiye but koi baat nahi teacher banne ke baad bagh jayegi aur apne C A se bol dijiye ke logo ko gumrah na kare

    ReplyDelete
  9. rajeev bhai tmne hi pahle start kiya he aur ab apne apme control karo nahi to seese ke samne muh bi nahi dek pawoge apne itna jhooth bolte hooooo

    ReplyDelete
  10. rajeev bhai galat ho galat hi bola jata he wo chahe ap ho ya koi aur samjhme aya

    ReplyDelete
  11. bhai ceo ke salary o bhi maruti me min 50lakh per anum se kam nahi hoti.ky fek rahe ho.

    ReplyDelete
  12. Tab to aap ko is job ki jarurat nahi hai isliya aap ko koi fark nahi padta ki kisi ke sath kya ho raha hai kisi ko is job ki kitni jarurat hai par ap ko is se kya aap to agar yeh barti rad bhi ho jai to koi fark nahi padta par hum jai se karibo ka kya roti dal ke lale pade hua hai maa bimar rahti hai papa tention mai hai bache udash rahte hai par aap ko kya

    ReplyDelete
  13. टेट विवाद का अंत उस तरह नहीं होने वाला जिस तरह होने की उम्मीद एकैडमिक वाले या गुणांक वाले लगाए हुए हैं,,,, मुझे तो आज भी आश्चर्य होता है कि आखिर इस सबसे सरकार का कौन सा स्वार्थ पूरा हो रहा है ,,बहुत से लोग कहते हैं कि सरकार इस भर्ती को 2014 के लोक सभा चुनावों तक लटकाना चाहती है,,,, तो सवाल यह है कि 2014 चुनावों तक ये भर्ती लटकाने से क्या सपा की लहर चलने की भी कोई उम्मीद है ,,, इस भव्य विवाद का अंत इसके आगाज से शानदार होना चाहिए ,,,,, ऐसी मुझे उम्मीद है

    ReplyDelete
  14. जिंदगी के हर मोड़ पर काम आने वाली 16 अद्भुत बातें :-

    1. गुण :- न हो तो रूप व्यर्थ है ........

    2. विनम्रता :- न हो तो विद्या व्यर्थ है ........

    3.उपयोग :- न आए तो धन व्यर्थ है ........

    4. साहस :- न हो तो हथियार व्यर्थ है ........

    5. भूख :- न हो तो भोजन व्यर्थ है .......

    6. होश :- न हो तो जोश व्यर्थ है .........

    7. परोपकार :- न करने वालों का जीवन व्यर्थ है ......

    8. गुस्सा :- अक्ल को खा जाता है ..........

    9. अहंकार :- मन को खा जाता है ...........

    10. चिंता :- आयु को खा जाती है ............

    11. रिश्वत :- इंसाफ को खा जाती है ...........

    12. लालच :- ईमान को खा जाता है .............

    13. दान :- करने से दरिद्रता का अंत हो जाता है ..............

    14. सुन्दरता :- बगैर लज्जा के सुन्दरता व्यर्थ है ................

    15. दोस्त :- चिढ़ता हुआ दोस्त मुस्कुराते हुए दुश्मन से अच्छा है .........

    16. सूरत :- आदमी की कीमत उसकी सूरत से नहीं बल्कि सीरत यानी गुणों से लगानी चाहिये ............

    ReplyDelete
  15. Yar isase achcha to mai asm in glen appliances at west up yar yeh to fake hai ise ceo ka means hi nahi hai agar hai to coo aur ceo me differant bata de

    ReplyDelete
  16. ..kya kal ki news a.p shahi ne khud kaha hai ki t.b ka order next week release hoga..meri din bhar ki padtal aur ku6 mahtvpurn logo se ki gayi bat dwara jo ku6 pta chal raha hai uska kya hai hakikat..avi vidhi adhyax s.k.pathak g se bat nahi ho payi..aakhir judge sahab ne kisi dusare case me aise kaise kah diya..aur kaun se wakil the jinhone yah pucha..kya kal ki news sahi hai..janiye pura sach,hamare prime post me

    ReplyDelete
  17. कुछ साथी इस बात से परेशान हैं कि हरकौली साहब एक अगस्त को रिटायर हो रहे हैं और उससे पहले अपना मामला खत्म ना होने पर समस्या आ सकती है ,,मेरा ऐसे साथियों से कहना है कि अनावश्यक और आदतन चिंता करना छोड़ दें ,,आज इलाहाबाद से हमारे साथियों ने सूचना दी है कि शाही जी ने किसी दूसरे मामले की सुनवाई के दौरान कोर्ट में कहा है कि संविधान पीठ का आदेश अगले हफ्ते आ रहा है ,,यदि शाही जी इस बार अपना वादा निभाते हैं तो इलाहाबाद के हमारे साथियों का यह प्रयास रहेगा कि इस महीने ही हमारा मामला हरकौली साहब के कोर्ट में चला जाए और सुनवाई हो जाए ,,यदि ऐसा ना भी हो पाया तो कम से कम इतनी उम्मीद तो की ही जा सकती है कि जुलाई की डेट इस महीने ही पता चल जाए जिससे इन्तजार करना अपेक्षाकृत आसान हो जाए ,,बिना किसी डेट के इन्तजार करने में होने वाली मुश्किलों से तो आप सब रूबरू हो ही चुके होंगे ,,,यदि ऐसा भी ना हो पाया तो भी जुलाई में हरकौली साहब इतना ऐतिहासिक फैसला देने का अवसर अपने हाथ से जाने देंगे ऐसी मुझे उम्मीद नहीं है ,,,,, जब संविधान पीठ लगातार दो दिन तकनॉन टेट वाले मामले की सुनवाई कर सकती है तो हरकौली साहब भला ऐसा क्यों नहीं करेंगे ,,,फिर भी यदि कोई साथी नकारात्मक सोचने की कसम ही खाए हुए हो तो वो ऐसा करके भी देख ले ,,,अगर ये मान भी लिया जाए कि कोई दूसरा जज हमारे केस का निर्णय करेगा तो उसे गुणांक से भर्ती कराने का असफल प्रयास(क्योंकि उच्च न्यायालय का कोई जज हमें सर्वोच्च न्यायालय जाने से तो रोक नही पायेगा ना?) करने के लिए अपने फैसले में लिखना पड़ेगा कि "चूँकि मीडिया वालों ने सरकार को बताया था कि टेट में धांधली हुयी है इसलिए धांधली होने का कोई प्रमाण देने कि सरकार को आवश्यकता नहीं है और उसी टेट को पात्रता मानकर जिसपर धांधली का आरोप लगा है एकैडमिक से भर्ती करने के लिए चयन प्रक्रिया में किया गया संशोधन retrospective Effect से होने के बावजूद मान्य है " आपको क्या लगता है कि किसी जज के बस की बात है कि वो ऐसा लिख पाए ,,,,,, जज की बात तो जाने दें ,,गुणांक समर्थकों को मेरी चुनौती है कि यह बात वो अखिलेश यादव से ही लिखवाकर दिखा दें ,,वादा रहा उसी वक्त मैं अपनी टेट की मार्कशीट फाड़ दूंगा,,,,,,और मुख्यमंत्री का मानसिक संतुलन चेक करवाने की याचिका डाल दूंगा ......

    ReplyDelete
  18. यदि संविधान पीठ का आदेश समय पर आ जाता है तो हरकौली जी के यहाँ से हमारे मामले मे अंतिम निर्णय भी सतत सुनवाई के बाद 31 मई तक आ सकता है । वैसे हरकौली जी के यहाँ तो केवल औपचारिकताएँ शेष है अधिकतर सुनवाई तो पहले ही हो चुकी है । टेट मैरिट से चयन और पुराने विज्ञापन की बहाली की घोषणा अप्रत्यक्ष रूप से तो वह पहले ही कर चुके है । ईश्वर ने चाहा तो अधिक्रत घोषणा भी हो जाएगी। हालाँकि यह सब मेरी निजी कल्पना है लेकिन फिर भी अगर ऐसा हुआ तो इसके मार्ग मे आने वाली लखनऊ एकल पीठ के स्टे की समस्या भी हम सब मिल कर हल कर लेंगे ।

    ReplyDelete
  19. लखनऊ बेंच में 72825 शिक्षको की भर्ती संबंधी दिए आदेश की गहराई से की गयी पड़ताल ....

    आखिर ये मामला क्या था ? और क्या क्या घटित हुआ ?

    स्पष्ट आदेश के बावजूद सरकारी वकील द्वारा जवाब दायर न करने पर टीईटी के माध्यम से प्राथमिक शिक्षकों के 72825 पदों की भर्ती पर हाईकोर्ट की लखनऊ पीठ ने रोक लगा दी है।

    1 अक्टूबर 2012 को पीठ ने सरकारी वकील से स्पष्ट तौर पर कहा था कि यदि राज्य सरकार का जवाब अगली तिथि तक न आया तो अदालत याची के अंतरिम आदेश पर विचार करेगी।

    पीठ ने बुधवार को याचीगणों की अंतरिम राहत अर्जी पर यह आदेश दिए। लगभग एक दर्जन से अधिक तारीखों पर राज्य सरकार का रटा-रटाया जवाब कि कुछ समय दिया जाए इस पर अदालत ने याचीगणों के अंतरिम राहत प्रार्थना पत्र पर विचार कर बुधवार को 51 याचीगणों के मामलों में अगली नियत तिथि तक नियुक्ति पर रोक के आदेश जारी किए।

    विदित हो कि प्राथमिक विद्यालयों में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए टीईटी उत्तीर्ण अभ्यर्थियों को शिक्षक नियुक्त करने की योजना बनाई गई थी। इसके तहत बेसिक शिक्षा अधिनियम में संशोधन किया गया कि टीईटी की मेरिट के आधार पर नियुक्तियां की जाएगी।

    इसी बीच बसपा सरकार ने 72825 शिक्षकों की भर्ती प्रक्रिया शुरू कर दी। प्रदेश में सरकार बदलने पर नई सरकार ने 31- 8-2012 को नियुक्ति की सारी प्रक्रिया ही समाप्त कर दी। इस पर 51 लोगों ने हाईकोर्ट में याचिका दायर कर 31 अगस्त 2012 के आदेश को चुनौती दी।

    याचीगणों ने मांग की कि इस आदेश को खारिज किया जाए तथा याचीगणों को नियुिक्त दी जाए।

    याचिका में मुख्य तीन प्रश्न उठाए गए।

    कहा गया जब नियुक्ति प्रक्रिया लगभग पूरी हो गई थी इस बीच राजनीतिक दुर्भावना से इस प्रक्रिया को समाप्त किया जाना न्याय संगत नहीं है।

    दूसरा प्रश्न था कि वर्तमान सरकार ने जिस आदेश से चयन प्रक्रिया खत्म की उसका कोई कानूनी आधार नहीं था।

    तीसरा यह कि सरकार ने कोई ठोस मानक नहीं तय किए कि चयन किस आधार पर होगा।

    इस मामले में पीठ लगातार सरकारी वकील से जवाब प्रस्तुत करने को कह रही थी। 1 अक्टूबर को पीठ ने अपने आदेश में भी कहा था कि यदि राज्य सरकार का जवाब न आया तो याची के मामले में अंतरिम राहत पर विचार किया जाएगा। लगभग 7 माह बीत गए, लेकिन सरकार ने जवाब नहीं प्रस्तुत किया और बुधवार को पुन: जवाब के लिए समय की मांग की।

    ये है 1 अक्टूबर 2012 का अदालत का आदेश ....

    HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD, LUCKNOW BENCH

    ?Court No. - 9

    Case :- SERVICE SINGLE No. - 5135 of 2012

    Petitioner :- Arvind Kumar Singh & 50 Ors.
    Respondent :- State Of U.P. Through Chief Secy. Vidhan Bhawan Lko. & Ors.
    Petitioner Counsel :- Ganga Singh
    Respondent Counsel :- C.S.C.

    Hon'ble Vishnu Chandra Gupta,J.
    On the request of learned Standing Counsel a week's time is allowed to file counter affidavit. It has been informed that no select list, after amended rule, has been prepared by the Government. It is made clear that if counter affidavit has not been filed in the aforesaid period the applicant for interim relief shall be disposed of.
    List thereafter.
    Order Date :- 1.10.2012

    13 दिसंबर 2012 को फिर सरकारी अधिवक्ता ने प्रति शपथ पत्र दाखिल करने के लिए समय की मांग की और अदालत ने इस के लिए चार सप्ताह का समय डे दिया |

    HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD, LUCKNOW BENCH

    ?Court No. - 6

    Case :- SERVICE SINGLE No. - 5135 of 2012

    Petitioner :- Arvind Kumar Singh & 50 Ors.
    Respondent :- State Of U.P. Through Chief Secy. Vidhan Bhawan Lko. & Ors.
    Petitioner Counsel :- Ganga Singh
    Respondent Counsel :- C.S.C.

    Hon'ble Shabihul Hasnain,J.
    Heard Sri Ganga Singh learned counsel for the petitioner and learned Standing Counsel for the opposite parties who prays for and is granted four weeks' time to file counter affidavit in the matter. Rejoinder affidavit may be filed in a week. List immediately thereafter.

    Order Date :- 13.12.2012/Om.

    ReplyDelete
  20. मैं नहीं जानता कि नॉन-टेट वाले मामले 12908/2013 में बृहद पीठ का निर्णय कब आयेगा। मैं नहीं जानता कि एक हफ्ते में अपेक्षित निर्णय एक महीने में भी क्यूँ नहीं आया। न ही कोई कयास लगाना ठीक समझता हूँ। खंडपीठ से हमारे मामले यानि 150/2013 और कनेक्टेड अपीलों पर क्या निर्णय आनेवाला है, इसकी बानगी 4 फ़रवरी से लेकर इस मामले की हर सुनवाई के दौरान मिलती रही है, अतः वह भी चिंता का विषय नहीं है। आनेवाला ग्रीष्मावकाश, जस्टिस हरकौली की सेवानिवृत्ति की तिथि, नियमित रूप से उच्च न्यायालय की पीठों में होने वाला परिवर्तन, ये सब कहीं न कहीं एक निश्चित लग रही जीत की प्रतीक्षा में व्यग्रता का अंश जोड़ रहे हैं। पर यह भी साफ़ है कि खंडपीठ द्वारा दिए गए 4 फ़रवरी और उसके बाद के आदेश अब कानूनी मजबूती और और तार्किक आधार वाले पुष्ट न्यायिक अभिलेख बन चुके हैं, जिनके नतीजे विलंबित हो सकते हैं, पर निलंबित नहीं। किसी भी पक्ष का समर्थन करने वाले इस सत्य से भली-भांति अवगत हैं।

    ReplyDelete
  21. लखनऊ वाले मामले के शुरूआती दौर में ही सरकारी वकील ने इसे इलाहाबाद बेंच में विचाराधीन मामले के सामान बताते हुए न्यायालय से इस मामले को भी जस्टिस टंडन की अदालत में चल रही याचिकाओं में जोड़ दिए जाने की दलील दी थी पर याची के वकील ने पुराने विज्ञापन के अनुसार होने वाली भर्ती की खूबियाँ और नए विज्ञापन के अनुसार होनेवाली भर्तियों में तमाम खामियाँ दिखाते हुए, इस मामले के स्वरुप को उस मामले से अलग बताया था, परिणामस्वरूप इसकी सुनवाई लखनऊ में होती रही। इस याचिका की सुनवाई के दौरान आज नए विज्ञापन पर जिस आधार पर स्थगनादेश जारी हुआ है, बिना उन मुद्दों पर न्यायालय को संतुष्ट किये प्रक्रिया शुरू नहीं की जा सकती। खंडपीठ द्वारा जिन आधारों पर स्थगनादेश दिया गया था, उनपर सरकार के स्पष्टीकरण से खंडपीठ आज तक संतुष्ट नहीं, नतीजतन स्थगनादेश आज भी लागू है. सिंगल बेंच के पास स्थगनादेश के लिए अपने कारण हैं, खंडपीठ के पास स्थगनादेश देने लिए अपने कारण हैं, सरकार जिस पीठ की आपत्तियां संतोषजनक रूप से दूर कर देगी, वह पीठ अपने स्थगनादेश को वापस ले लेगी, पर अन्य पीठ द्वारा दिए गए स्थगनादेश को नहीं। हाँ, यदि स्थगनादेश पाने वाले याचिकाकर्ता खंडपीठ में कैवियेट दाखिल कर दें तो सरकार द्वारा गुपचुप तरीके से एकल पीठ द्वारा जारी स्थगनादेश को विशेष अपील के जरिये खंडपीठ से ख़ारिज कराये जाने की संभावना पर भी विराम लग जाएगा।

    ReplyDelete
  22. चिंता का मुख्य विषय निर्णय में आनेवाली देरी, दिन पर दिन अभ्यर्थियों में बढ़ती अधीरता, सरकार द्वारा नित नए बेतुके निर्णय, उनपर पैदा होते विवाद, नतीज़तन हर मामले में ठहराव और अंततः इन सबके प्रति सरकार की बेपरवाही है।
    इस सबका नतीज़ा कुछ साथियों और उनके परिजनों पर हमारी सोच से भी कहीं ज्यादा पड़ा है, समाजवाद का मुलम्मा चढ़े सामंतवाद के पैरोकारों को न योग्य अभ्यर्थियों की चिंता है न प्रदेश में शिक्षा के स्तर की। ऐसे लोगों को न सिर्फ नकारना होगा, बल्कि इन्हें नाकारा भी सिद्ध करना होगा ताकि आज इन्हें आप नकारें, कल इन्हें बहुमत नकार दे। और जिसने इनके कारण खून के आंसू बहाए हों, यह काम भला उनसे बेहतर और कौन कर पायेगा? गलत न समझें, यहाँ मगरमच्छी टसुवे बहाने वालों की बात नहीं हो रही है।

    ReplyDelete
  23. ऐसे में सरकार के जबड़े में फँसी 72825 की भर्ती को छुड़वाने का एक तरीका है कि इसकी वैकल्पिक व्यवस्था वाली पूँछ पर पाँव रख दिया जाये, ऐसे में इसका मुँह खुलेगा और भर्ती मुक्त होगी। प्राथमिक विद्यालयों में शिक्षकों की कमी की ओर से ये तबतक निगाहें फेरे रहेगी, जब तक इनके पास शिक्षामित्र-रुपी बैक-अप प्लान, अनुदेशक-प्रेरक जुगाड़ रहेंगे। जैसे ही इसे आभास होगा कि जिस तुक्के को यह तीर बताते-मानते हुए आराम से बैठी है, उसकी असलियत खुलने वाली है, उसका तथाकथित बैक-अप प्लान हवा होने वाला है, तब इसे प्राथमिक विद्यालयों में योग्य-नियमित शिक्षकों की कमी पूरी करने में ही भलाई नज़र आएगी। और यदि समय रहते ऐसा हो पाया तो कोई बड़ा आश्चर्य नहीं कि शिक्षा का अधिकार अधिनियम के अनुसार मानक छात्र-शिक्षक अनुपात के लक्ष्य की प्राप्ति के लिए किसी अन्य कुशवाहा की पहल पर न्यायालय 31 मार्च 2014 के पूर्व सरकार को बी०एड० धारकों के लिए एक और बम्पर भर्ती का दरवाजा खोलने को विवश कर दे।

    ReplyDelete
  24. सर्व-विदित है कि संतोष कुमार मिश्रा व अन्य बनाम उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य रिट ए संख्या 28004/2011 की सुनवाई करते हुए जस्टिस कृष्ण मुरारी ने NCTE द्वारा 14.01.2011 को जारी उस आदेश के क्रियान्वयन अर्थात शिक्षामित्रों के दो-वर्षीय प्रशिक्षण पर यह कहते हुए 18.05.2011 को स्थगनादेश जारी कर दिया था कि NCTE द्वारा शिक्षामित्रों को प्रशिक्षण दिए जाने वाला यह आदेश प्रथम-दृष्ट्या गलत मान्यता पर आधारित है कि वे क़ानूनी तौर पर नियुक्त अध्यापक हैं। बाद में राज्य सरकार द्वारा दाखिल विशेष अपील 1032/2011 उत्तर प्रदेश सरकार व अन्य बनाम संतोष कुमार मिश्रा व अन्य की सुनवाई में स्थगनादेश तो खंडपीठ द्वारा रद्द कर दिया गया पर इस प्रशिक्षण की वैधता को रिट ए संख्या 28004/2011 के अंतिम निर्णय के अधीन बताया था। अंतिम बार 6 जुलाई 2012 को इस मामले की तारीख तक का तो रिकार्ड आसानी से मिल जाता है पर उसके बाद इसे सम्बंधित मामलो से सम्बद्ध कर दिया गया, जिसमे लीडिंग केस का विवरण उपलब्ध न हो पाने के कारण इस मामले की प्रगति की जानकारी फिलहाल अनुपलब्ध है। इस महत्वपूर्ण मामले का अबतक का घटनाक्रम और इसमें अबतक हुई प्रगति, जो शायद नकारात्मक ही है, मामले को आश्चर्यजनक रूप से संदेहास्पद बनाती दिख रही है। अंतरिम आदेश में स्पष्ट है कि इस मामले में शिक्षामित्रों को दी जाने वाली ट्रेनिंग पर यह कहकर श्री अशोक खरे ने सवाल उठाया था कि जब NCTE के नियमानुसार प्रारंभिक शिक्षा में दो-वर्षीय डिप्लोमा में केवल क़ानूनी तौर से नियुक्त अप्रशिक्षित अध्यापकों को दिया जा सकता है तो 11 माह के ठेके पर तैनात शिक्षामित्र इसके लिए कैसे पात्र हो सकते है जबकि बेसिक शिक्षा अध्यापक सेवा नियमावली, 1981 में अप्रशिक्षित शिक्षकों की नियुक्ति का कोई प्रावधान कभी नहीं रहा। साथ ही, उन्होंने सरकार के इस कदम को उन्होंने बिना आरक्षण सम्बन्धी प्रावधानों का पालन किये बिना केवल स्थानीय लोगो में से चयनित शिक्षामित्रों को ही इस प्रशिक्षण में सम्मिलित किया जाना अन्य लोगो को खुली प्रतिस्पर्धा के जरिये चयन के अवसर से वंचित किये जाने के रूप में न्यायालय के सामने रखा। जाहिर है, इस मुक़दमे से उथलपुथल मचनी स्वाभाविक थी, मची भी थी पर जिस तरह से सरकार सक्रिय हो उठी, स्थगनादेश हट गया और फिर प्रगति और अंतिम निर्णय के नाम पर एक अनंत शून्य! आज तक यह मामला ठन्डे बस्ते में पडा है. क्या कोई जानता है कि क्यूँ, कैसे?

    ReplyDelete
  25. यदि किसी को इस मामले में अधिक जानकारी, इस मामले के लीडिंग केस नंबर आदि की जानकारी हो तो कृपया साझा करें, शायद कोई इस मामले में कुछ कर गुजरने पर उतर आये। वरना क्या, 31 मार्च 2014 के बाद कम से कम बी०एड० वालों के लिए प्राथमिक में कुछ हासिल करने की सम्भावना पर तो पूर्ण-विराम लग ही जायेगा।

    आप सबके लिए शुभ-कामना।। ईश्वर आप सबको प्रतीक्षा के इस भंवर से जल्द उबारे, यही प्रार्थना है।

    ReplyDelete
  26. friends,
    1 june 2013 se 30 june 2013 tak allahabad hc closed rahega,,
    Jaisa ki allahabad hc ke 2013 ke yearly calender me diya gaya hai,,
    Yani is maah court sirf 9 din open hona baki bacha hai,,,
    Jaha tak mai apni samajh se kah sakta hu,,, ki ab hume july tak ka safar tay karna pade,,,( bhagwan aisa na kare) ,,kyoki next week ke mid me agar faisla aa bhi jata hai,,,,( jiski koyi abhi tak adhikarik soochna nahi hai) ,,,to bhi agar hamara advt. Wala matter db me transfer hota hai to,,,,waha listing karane me kam se kam 1 week ka time to lag hi jayega,,, so ,,ab is month wait karna bekar sa lag raha hai,,,

    Lekin mujhe aaj 1 baat ka behad kasht ho raha hai,,,ki jab tb ka gathan non tet walo ke matter ke liye kiya gaya tha ,,,tab sunwayi ke douran shayad govt. Advocate ne 1 month ka time manga tha jis par judges ne kaha tha ki,,,hume is matter ko april me hi ,,niptane ka adesh hai,,,lekin last hearing 17 april ko huyi aur aaj hai 18 may,,, poore 1 month beet gaye sirf judgment aane me,,,,aur is 1 month me kayi gupt rogiyo ne apne gupt rogo ke ilaaj ke dauran ,,,gupt sutro ke dwara ...,kabhi 500 pages ka judgement likhawaya to kabhi 300 ,,to kabhi 160 pages ka,,,kabhi judgement agle week me aaya to kabhi fala day,,,,ko.
    But asal me kya huwa,,ye sab aapke samne hai,,,.

    Aur hamara mamla kitna jatil hai,,,aur kitna saral ye to mai aaj tak na samjh paya aur na hi,,,,aage samjhne ki jarurat samjhta hu..,,kyoki agar hum doctor ke pass jakar apna ilaz karwate hai,,,to wo marz ki jaanch kar dawa deta hai,,,theek hona na hona,,,aage ki baat,,,hoti hai,,,,Agar marij theek nahi hota to,,aage kisi bade doc. Se ilaaj karata hai,,,,
    Jabki aajtak hamare mamle me kabhi bhi,,,,kisi bhi ulhe huye mudde ko suljha maine dekha nahi,,,
    Agar hum single bench ya db se jeet chuke hote to kya..,,, contempt nahi lad sakte the jisme sarkar ka koyi adhikari fasta,,,tab sarkar khud ba khud line pakad leti,,,,
    Bus bhagwan hume is gandagi/ dladal se jald se jald ubare..
    Bharat ki nyay prnali gajb hai,,,,yaha mangne se nahi milta,,,aur bin mange sab kuchh mil jata hai,,
    Chhot mangne gaye btc /sbtc aur mili bed walo ko,,,,sarkar ne tb se samnga nahi mila par ab wahi 1 mah bin mange mil gaya,,,
    Jab hum luknw bech se rahat mangne gaye to nahi mili,,,aur ab ,,,
    To mitro bhartiy nyay pranali hi kuchh aisi hai jaha,,vilamb hona swabhawik sa lagne laga hai,,,
    Samay -2 ka fera hai,,
    Kabhi tera to kabhi mera hai,,

    Dhairy se wait karo,
    Bhagwan ka name lo.
    Satymev jayte.

    ReplyDelete
  27. MERE TET SUPORTER SATHIYO...JAISA KI HAMARE KU6 BHAIYO NE YE KAHA KI JUDGE A.P SAHI NE KAL OPEN COURT ME KAHA KI DECIZEN Next week aayega. Ye bat bilkul sach hai..court no.30 me b.ed se hi realated case thi jisme unhone yachi ke wakil se kaha hai ki t.b ka order next week aane ke bad apke case ka order v final ho jayega...
    A.p shahi judge ne ye bate kahi jo ki sach hai aur us wakt tet morcha ke vidhik salahkar advocate navin sharma g v the..
    2)h.c ki website par sirf 12908 shivkumar sharma &others hi reserve dikha raha hai jabki special apeal 150/2013 navin srivastav & others nahi jiska seedha matlab hai ki t.b me sirf 12908 nontet hi reserve hai na ki base of selection ki special apeal..
    Acd grup par avi v bram failaya ja raha hai ki order har mamle par reserve hai..
    3) next week yani 25 may ke andar agar t.b ka order aata hai..to base of selection 31 tak tay hone ki sambhavna kafi kam hai..hamara base of selection july me jana lagbhag tay hai..jai tet

    ReplyDelete
  28. पूर्व विज्ञापन द्वारा टेट मेरिट से चयन हेतु सृजित 72825 पदों को सरकार द्वारा वंशानुगत हेरा-फेरी के गुणों का सहारा लेकर एकैडमिक से भर्ती का प्रयास तो प्रथम द्रष्टया ही असफल सिद्ध हो चुका है ,,ये पद तो टेट मेरिट से ही भरे जायेंगे इतना तो निश्चित है ,,संविधान पीठमें कहीं एकैडमिक वालों को कानूनन गधा ना घोषित कर दिया जाए बस इसी बात का डर है,,,,इससे गधे शर्मिन्दा महसूस करेंगे,,,,गधों में भी थोड़ी लाज-शर्म तो होती ही है,,,,,मैंने तो आज-तक नहींदेखा कि गधों के मालिकोंने उनकी तुलना कभी घोड़ोंसे की हो ,, अब सवाल सिर्फ इतना बचा है कि हमारी भर्ती के बाद एकैडमिक वालों का क्या होगा ,,, कोई साथी जाकर कुशवाहा जी या गुड्डी सिंह से ही पूछ आओ कि अब उनका क्या होगा ,,,,, अगर वो कहते हैं कि एकैडमिक से भर्ती होगी और वर्तमान विज्ञापन से जुड़े हमारे 72825 पदों से ही होगी तब मैं उनके साथ शर्त लगानेको तैयार हूँ ,,,, actually जब काउंसिलिंग शुरू होने वाली थी तब भी मैंने टेट मेरिट वालों से शर्त लगाने का प्रस्ताव किया था लेकिन टेट मेरिट वालातो कोई इतना बेवकूफ मिलानहीं ,,, हार से डर सब रहे थे लेकिन जीत के यकीन के साथ ,,,,, टेट मेरिट वालों का डर भी विशेष प्रकार का ही था ,,,,, अब देखना यह है कि एकैडमिक वालों का उत्साह किस प्रकार का है,,,,, कोई बेवकूफ एकैडमिक वाला तैयार हो जाए तो मेरी बड़ी तमन्ना है कि उनके रुपयों खरीदीकार से काउंसिलिंग कराने जाऊं .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    कोई मिले तो तुरंत बताना

    ReplyDelete
  29. लालू प्रसाद यादव निर्मल दरबार मे

    लालू :- बाबा जी को प्रणाम.
    बाबा :- कहा से आए हो.
    लालू ;- घर से.
    बाबा :- मेरा मतलब है कहा रहते हो?
    लालू :- अब का प्रशनवा पूछ रहे हो, घर मे ही रहता हूँ ओर का तबेले मे रहूँगा...
    बाबा :- नाम क्या है?
    लालू :- लालू प्रसाद यादव
    बाबा :- लालू की जगह चालू लिखा करो...
    लालू :- चालू तो हम है ओर देखिये ये लिखने पढ़ने की बाते ना करे तो ही ठीक रहेगा.
    बाबा :- ये चारा क्यू आ रहा है बीच मे, चारा खाया है कभी.
    लालू :- उ तो कई बरस पुरानी बात है अब तो मामला दब चुका है.
    बाबा :- यही कृपा रूक रही है, जाओ थोड़ा चारा खाओ. कृपा आनी शुरू
    हो जाएगी.
    लालू :- बुदबर्क समझे हो का, हम चारा कैसे खा सकते है?
    बाबा :- तूमने ही तो कहा है की खाया था
    लालू :- उ तो कागजो मे खाया था
    बाबा :- तो अब की बार प्लेट मे खाना
    लालू :- चल ससुर का नाती कुछ ओर इलाज बता
    बाबा :- ये माया क्यू आ रही है बीच मे.
    लालू :- आरे आप गलत दिशा मे जा रहे है, माया तो यूपी मे है तनिक दूसरी ओर आइए, ममता को देखिये
    बाबा :- मूर्ख मैं उस माया की नहीं इस माया की बात कर रहा हु, धन की दोलत
    की.
    लालू :- धन तो सुर्क्षित है, विदेशवा मे है ना.
    बाबा :- तो अपने देश मे लाओ ओर थोड़ा मेरे अकाउंट मे डलवाओ.
    लालू :- तोहार का ना डलवा दूँ जेलवा मे.
    बाबा :- आप तो गरम हो रहे है, कुछ ठंडी चीज खाइये , रबड़ी ये रबड़ी कहा से
    आ रही है बीच मे.
    लालू :- अरे हो ढोंगी बाबा हमरी दुलहनवा का नाम ना ले तो ही ठीक रहेगा,
    हमका का बुदबर्क समझे हो हम देश का नेता है देश चलाता है ओर तू हमका चला रहे हो.
    बाबा :- प्रभु गुरुदेव कोई रास्ता बताइये की हमारे धंधे को कानूनी लाइसेन्स मिल जाये.
    लालू :- ठीक है जाइए अपनी कमाई का आधा हिस्सा हमरे खाते मे डलवाईए
    सरकारी कृपा आनी शुरू हो जाएगी.!!--

    ReplyDelete
  30. एक थका माँदा शिल्पकार लंबी यात्रा के बाद किसी छायादार वृक्ष के नीचे विश्राम के लिये बैठ गया। अचानक उसे सामने एक पत्थर का टुकड़ा पड़ा दिखाई दिया। उसने उस सुंदर पत्थर के टुकड़े को उठा लिया, सामने रखा और औजारों के थैले से छेनी-हथौड़ी निकालकर उसे तराशने के लिए जैसे ही पहली चोट की, पत्थर जोर से चिल्ला पड़ा, "उफ मुझे मत मारो।" दूसरी बार वह रोने लगा, "मत मारो मुझे, मत मारो... मत मारो।
    शिल्पकार ने उस पत्थर को छोड़ दिया, अपनी पसंद का एक अन्य टुकड़ा उठाया और उसे हथौड़ी से तराशने लगा। वह टुकड़ा चुपचाप वार सहता गया और देखते ही देखते उसमे से एक एक देवी की मूर्ती उभर आई। मूर्ती वहीं पेड़ के नीचे रख वह अपनी राह पकड़ आगे चला गया।
    कुछ वर्षों बाद उस शिल्पकार को फिर से उसी पुराने रास्ते से गुजरना पड़ा, जहाँ पिछली बार विश्राम किया था। उस स्थान पर पहुँचा तो देखा कि वहाँ उस मूर्ती की पूजा अर्चना हो रही है, जो उसने बनाई थी। भीड़ है, भजन आरती हो रही है, भक्तों की पंक्तियाँ लगीं हैं, जब उसके दर्शन का समय आया, तो पास आकर देखा कि उसकी बनाई मूर्ती का कितना सत्कार हो रहा है! जो पत्थर का पहला टुकड़ा उसने,उसके रोने चिल्लाने पर फेंक दिया था वह भी एक ओर में पड़ा है और लोग उसके सिर परनारियल फोड़ फोड़ कर मूर्ती पर चढ़ा रहे है।
    शिल्पकार ने मन ही मन सोचा कि जीवन में कुछ बन पाने के लिए शुरू में अपने शिल्पकार को पहचानकर, उनका सत्कारकर कुछ कष्ट झेल लेने से जीवन बन जाता हैं।बाद में सारा विश्व उनका सत्कार करता है। जो डर जाते हैं और बचकर भागना चाहतेहैं वे बाद में जीवन भर कष्ट झेलते हैं, उनका सत्कार कोई नहीं करता ।

    ReplyDelete
  31. सेवा में, श्रीमान् मुख्य न्यायाधीश महोदय
    ____________________________
    इलाहाबाद उच्च न्यायलय आदरणीय महोदय,
    हम सभी बी. एड. टी. ई. टी. उत्तीर्ण अभ्यर्थियों का आपसे विनम्र निवेदन है,कि उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्रदेश में 72825शिक्षकों की भर्ती की जा रही है जिसके लिए दो बार आवेदन पत्र लिए गये हैं । इसके संबंध में न्यायलय की वृहद पीठ द्वारा वाद संख्या 12908/2013 शिव कुमार शर्मा एवं अन्य बनाम उत्तर प्रदेश की सुनवाई की गयी है तथा फैसले को 17 अप्रैल 2013 को सुरक्षित रख लिया गया है। यह मामला लाखों अभ्यर्थियों से जुड़ा हुआ है और हम सब अभ्यर्थी दिसंबर 2011 से इस मुद्दे के हल होने का इंतजार कर रहे है । जैसा कि हमको विदित है की माननीय उच्च न्यायालय का ग्रीष्मावकाश जून माह में है और अगर निर्णय इस माह नहीं आता है तो जुलाई तक फिर निर्णय नहीं आ पायेगा हमें आपको अवगत कराना है कि इस आर्थिक और मानसिक शोषण के कारण हमारे कुछ साथी अवसादग्रस्त होकर आत्महत्या जैसे गलत कदम उठा रहे है । अतः आपसे विनम्र निवेदन है कि आप अपने स्तर पर कार्यवाही करते हुए वृहद पीठ से अतिशीघ्र निर्णय करवाने की कृपा करें जिससे हम समस्त अभ्यर्थी अवसादग्रस्त होने से बच सकें । हम आपसे आशा करते हैं कि आप हमारे प्रार्थना पत्र को संज्ञान में लेते हुए अतिशीघ्र निर्णय करवाने की कृपा करेंगे । हम सदैव आपके आभारी रहेंगे । सधन्यवाद । प्रेषक ----- समस्त बी. एड. टी. ई. टी. उत्तीर्णअभ्यर्थी उत्तर प्रदेश ं

    ReplyDelete
  32. खुशियों का मौसम भी कभी ना कभी तो आ ही जायेगा ..
    अब गम भी तो बेशुमार मिल गए है ...तमन्ना किये बगैर ..

    ReplyDelete
  33. ager gunak merit se samanta ka haq prebhavait hota hai. aur harkoili ji ne kuch esa hi order diya tha jisme gunak ko avedh bataya gya tha. to ye man lena ki upper primary - science/maths vacency bhi stay ke jaal mai fas jayegi.

    ReplyDelete
  34. आप सभी भाइयो-बहिनों से मेरा विनम्र निवेदन है कि आप सभी माननीय उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश जी को फ़ैक्स भेजकर जल्द से जल्द वृहद पीठ का आदेश पारित करवाने कि प्रार्थना करें,जिससे हम सभी भाई-बहिनों का भविष्य उज्ज्वल हो सके । कई भाई तो ऐसा कर चुके हैं और मैं ऐसा करने जा रहा हूँ सोमवार को। आप सभी लोग ही ऐसा करके इस शुभ कार्य में अपना योगदान दे सकते हैं।
    धन्यवाद

    ReplyDelete
  35. आजकल मेरे दिल में बहुत से
    ख्याल आते हैं ....
    आप भी देखिये तो ____
    कोई जवाब देगा इसका ?
    1. कभी - कभी मेरे दिल में ख्याल आता है __ जावेद उस्मानी सर , टी ई टी में जबरजस्त धाधली ना दिखाए होते तो क्या होता ? ♥
    2. कभी - कभी मेरे दिल में ख्याल आता है __ हमारे मुख्यमंत्री साहब बेस ऑफ़ सिलेक्शन गुणांक ना चेंज किये होते तो क्या होता ? ♥
    3. कभी - कभी मेरे दिल में ख्याल आता है __ इस ७२८२५ की भारती में इतनी ज्यादे रिट्स ना पड़ती तो क्या होता ? ♥
    4. कभी - कभी मेरे दिल में ख्याल आता है __ कपिलदेव यादव जी इस दुनिया में ना आये होते तो क्या होता ? ♥
    5. कभी - कभी मेरे दिल में ख्याल आता है __ हमारे सर टंडन साहब ने नया एड ना निकलवाया होता तो क्या होता ? ♥
    6. कभी - कभी मेरे दिल में ख्याल आता है __ हमारे सर हर्कौली साहब ने स्टे ना लगाया होता तो क्या होता ? ♥
    7. कभी - कभी मेरे दिल में ख्याल आता है __ ट्रिपल बेंच ने आर्डर दे दिया होता तो क्या होता ?

    ReplyDelete
  36. यादों की बस्ती बनाना चाहता हूँ
    फिर नयी दुनिया सजाना चाहता हूँ
    ज़िन्दगी में तुम रहो या न रहो
    दिल में तेरा घर बसाना चाहता हूँ

    हैं तमन्नाएँ और कुछ अरमान हैं
    फिर से तुझको ये बताना चाहता हूँ
    तुम बसे हो दिल में मेरे ओ सनम
    तेरे दिल में, मैं भी आना चाहता हूँ

    साथ तेरा, साथ था जब तक सनम
    उन पलों को दोहराना चाहता हूँ
    तुम तो सागर से भी गहरी हो नदी
    जो भी हो कश्ती चलाना चाहता हूँ
    कर लो मुझपर ऐतबार और करम
    बस तुम दिखो सपना सुहाना चाहता हूँ
    गम-ए-तनहाई सुपुर्द-ए-खाक हो
    आओ तुम महफ़िल सजाना चाहता हूँ

    हर ख़ुशी तो सिर्फ तेरे नाम है
    अब तो हर दम मुस्कुराना चाहता हूँ
    तुम बनो किसकी ग़ज़ल है क्या पता
    तुझको तरन्नुम में गाना चाहता हूँ

    मंजिलें मिल जाएँगी तुम तो मिलो
    तुम हो मंजिल तुमको पाना चाहता हूँ
    खूब शिकवा और शिकायत आज कर लो
    सब गिले शिकवे मिटाना चाहता हूँ

    तुम हो जीने की वजह और क्या कहूँ
    ज़िन्दगी का इक तराना चाहता हूँ
    ये विरह नाकाबिले बर्दाश्त है
    अब तो जीवन-साथ तेरा चाहता हूँ

    ReplyDelete
  37. एक बन्दे की पत्नी स्टेशन पर रह
    गई क्यू की वो पहले चढ़ गया ट्रेन
    मे अब वो बड़ा बेचैन
    की पत्नी निचे रह गई बगल मे बैठे
    आदमी ने कहा रामायण पढ़ते
    हो ..बन्दे ने
    कहा मेरी पत्नी निचे रह गई आप
    को रामायण की पड़ी है
    तो आदमी बोला रामायण मे
    कहा गया है जब केवट की नाव आई
    तो राम ने पहले सीता को नाव मे
    बिठाया ...अगर पढ़ते तो पत्नी निचे
    न रहती.;-)

    ReplyDelete
  38. 500 तैयार रखो लुटेरे आ रहे हैं .......

    टीजीटी-पीजीटी व प्रधानाचार्य के रिक्त तीन हजार पदों का विज्ञापन शीघ्र
    इलाहाबाद। उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड टीजीटी, पीजीटी और प्रधानाचायरे के रिक्त करीब तीन हजार पदों पर नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करने जा रहा है। इसके लिए माह के अन्तिम हफ्तें में विज्ञापन जारी करने जा रहा है। जिससे कि अभ्यर्थी संबंधित पदों के लिए समय रहते आवेदन कर सके। माध्यमिक शिक्षा सेवा चयन बोर्ड के सूत्रों ने बताया कि शासन के निर्देश पर प्रदेश के सभी सहायता प्राप्त माध्यमिक विद्यालय 30 जून 2014 तक टीजीटी, पीजीटी और प्रधानाचायरे के रिक्त होने वाले पदों का अधियाचन दें जिससे कि समय रहते विज्ञापित करके उन पदों पर नियुक्ति की जा सके और शिक्षण कार्य प्रभावित न होने पाये।

    ReplyDelete
  39. Uljhano ko aur uljhao na,
    Ulajh ke isme suljhao na,
    Suljhana hai jo uljhano ko,
    Sulajh ke sulajhao na,

    Uljhane sulajh ke bhi, sulajhti nahin hain,
    Sulajh jayein ek baar, fir ulajhti nahin hain,
    Suljhaane uljhaane mein gujarti hai umr,
    Uljhane fir bhi sulajhti nahin hain,

    Jitna uljhaoge,utna khud uljhoge,
    Jitna suljhaoge, utna khud suljhoge,
    Nirbhar karta hai tumpe ye,
    Uljhaa ke suljhaoge ya suljhaa ke uljhaoge,

    Khud uljhe ho to auro ko bhi uljhaoge,
    Khud suljhe ho to auro ko bhi suljhaoge,
    Khud ko hee na samajh paye to,
    Sulajh ke bhi auro ko uljhaoge,

    ReplyDelete
  40. Kaash hum sab fir se bacche ban jayein,
    Bhole se, masoom aur sacche ban jayein,
    Kahein fir se ek baar chaand ko mama aur
    Karke dher sari shaitani fir se acche ban jayein,

    Subah der se uthkar raat mein jaldi sona ho,
    Ek haath mein roti ek haath mein khilona ho,
    Pakdein din mein titli aur raat mein jugnu,
    Aayein haath mein to hansna, ud jayein to rona ho,

    Aaj ladein aur kal tak bhool jayein hum,
    Ek toffee ke liye sab kubool jayein hum,
    Bhar ke bag mein apne khilone,
    Uchalte, koodte school jayein hum,

    Utha lein sir pe aasman ko,
    Khinchwaye roj apne kaan ko,
    Mummy kahein baar baar papa se,
    Kaise sudharein is shaitaan ko,

    Khilone tootne se hee ro jayein hum,
    Rote rote hee fir so jayein hum,
    Jagein jab neend se bhoolein ho sab aur,
    Fir se khelne mein kho jayein hum,

    Kitne haseen the vo bachpan ke din,
    Na bhoolenge kabhi vo beete hue din,
    Uljhano se bhari is zindagi mein,
    Sukun de jate vo pyare pal chin,

    Kaash hum sab fir se bacche ....................................

    ReplyDelete
  41. ये हैं आईटी एक्ट की धाराएं
    एक्ट 65 : कंप्यूटर के सोर्स कोड के साथ की गई टेंपरिंग पर दो लाख का जुर्माना।
    एक्ट 66 : किसी कंप्यूटर सिस्टम को साइबर कानून का उल्लंघन करते हुए हैक करना या उसकी कोशिश करने पर 10 लाख का जुर्माना, दस साल की जेल या दोनों।
    एक्ट 67 : किसी की न्यूड तस्वीर को इंटरनेेट पर डालने के आरोप में दो लाख का जुर्माना, पांच साल की जेल जबकि दूसरी बार पकड़े जाने पर दस लाख का जुर्माना, दस साल की जेल या दोनों।
    एक्ट 72 : किसी कंपनी के अहम दस्तावेज या किसी की प्राइवेसी को लीक करने के आरोप में दो साल की जेल, एक लाख का जुर्माना या दोनों।
    एक्ट 74 : अगर किसी दूसरे के कंटेट को चुराकर अपने नाम से पब्लिश किया गया तो दो लाख का जुर्माना, एक साल की जेल या दोनों।

    ReplyDelete
  42. बहुत समय पहले की बात है !! एक सरोवर में बहुत
    सारे मेंढक रहते थे !! सरोवर के बीचों -बीच एक
    बहुत पुराना धातु का खम्भाभी लगा हुआ था जिसे
    उस सरोवर को बनवाने वाले राजा ने
    लगवाया था !! खम्भा काफी ऊँचा था और
    उसकी सतह भी बिलकुल चिकनी थी !!
    एक दिन मेंढकों के दिमाग में आया कि क्यों ना एक
    रेस करवाई जाए !! रेस में भाग लेने
    वाली प्रतियोगीयों को खम्भे पर
    चढ़ना होगा और जो सबसे पहले एक ऊपर पहुच
    जाएगा वही विजेता माना जाएगा !!
    रेस का दिन आ पंहुचा !! चारोतरफ बहुत भीड़
    थी !! आस -पास के इलाकों से भी कई मेंढक इस रेस में
    हिस्सा लेने पहुचे !! माहौलमें सरगर्मी थी !! हर
    तरफ शोर ही शोर था !!
    रेस शुरू हुई, लेकिन खम्भे को देखकर भीड़ में एकत्र
    हुए किसी भी मेंढक को ये यकीन नहीं हुआ कि कोई
    भी मेंढक ऊपर तक पहुंच पायेगा !! हर तरफ
    यही सुनाई देता - "अरे ये बहुत कठिन है !!
    वो कभी भी ये रेस पूरी नहींकर पायंगे !!
    सफलता का तो कोई सवाल ही नहीं !! इतने चिकने
    खम्भे पर चढ़ा ही नहीं जा सकता !!"
    और यही हो भी रहा था, जो भी मेंढक कोशिश
    करता, वो थोड़ा ऊपर जाकर नीचे गिर जाता !!
    कई मेंढक दो -तीन बार गिरनेके बावजूद अपने
    प्रयास में लगे हुए थे !!
    पर भीड़ तो अभी भी चिल्लाये जा रही थी - "ये
    नहीं हो सकता , असंभव !!" और वो उत्साहित मेंढक
    भी ये सुन-सुनकर हताश हो गएऔर अपना प्रयास
    छोड़ दिया !!
    लेकिन उन्ही मेंढकों के बीच एक छोटा सा मेंढक था,
    जो बार -बार गिरने पर भी उसी जोश के साथ
    ऊपर चढ़ने में लगा हुआ था !!वो लगातार ऊपर
    की ओर बढ़ता रहा और अंततः वह खम्भे के ऊपर पहुच
    गया और इस रेस का विजेता बना !!
    उसकी जीत पर सभी को बड़ा आश्चर्य हुआ !!
    सभी मेंढक उसे घेर कर खड़े हो गए और पूछने लगे -
    "तुमने ये असंभव काम कैसे कर दिखाया, भला तुम्हे
    अपना लक्ष्य प्राप्त करने की शक्ति कहाँ से
    मिली, ज़रा हमें भी तो बताओ कि तुमने ये विजय
    कैसे प्राप्त की ??"
    तभी पीछे से एक आवाज़ आई -"अरे उससे क्या पूछते
    हो ,
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    .
    वो तो बहरा है !!"
    अक्सर हमारे अन्दर अपना लक्ष्य प्राप्त करने
    की काबीलियत होती है, पर हम अपने चारों तरफ
    मौजूद नकारात्मकता की वजह से खुद को कम आंक
    बैठते हैं और हमने जो बड़े-बड़े सपने देखे होते हैं उन्हें
    पूरा किये बिना ही अपनी ज़िन्दगी गुजार देते
    हैं !! आवश्यकता इस बात की है हम हमें कमजोर
    बनाने वाली हर एक आवाज के प्रति बहरे और ऐसे
    हर एक दृश्य के प्रति अंधे हो जाएं !!
    और तब हमें
    सफलता के शिखर पर पहुँचने से कोई नहीं रोक
    पायेगा !!

    ReplyDelete
  43. जब मैं छोटा था, शायद दुनिया बहुत बड़ी हुआ करती थी...
    मुझे याद है मेरे घर से "स्कूल" तक का वोरास्ता,
    क्या क्या नहीं था वहां, चाट के ठेले, जलेबी की दुकान, बर्फ के गोले, गुड़-गट्टा... सब कुछ, अब वहां "मोबाइल शॉप", "विडियोपार्लर" हैं, फिर भी सब सूना है l
    शायद अब दुनिया सिमट रही है......
    जब मैं छोटा था, शायद शामे बहुत लम्बी हुआ करती थी.... मैं हाथ में पतंग की डोर पकडे, घंटो उडा करता था, वो लम्बी"साइकिल रेस", वो बचपन के खेल, वो हर शाम थक के चूर हो जाना, अब शाम नहीं होती, दिन ढलता है...और सीधे रात हो जाती है l
    शायद वक्त सिमट रहा है...
    जब मैं छोटा था, शायद दोस्ती बहुत गहरी हुआ करती थी, दिन भर वो हुज़ोम बनाकर खेलना, वो दोस्तों के घर का खाना, वो साथरोना, अब भी मेरे कई दोस्त हैं, पर दोस्ती जाने कहाँ है, जब
    भी "ट्रेफिक सिग्नल" पे मिलते हैं "हाई"करते हैं, और अपने अपने रास्ते चल देते हैं l
    शायद अब रिश्ते बदल रहें हैं......
    जब मैं छोटा था, तब खेल भी अजीब हुआ करतेथे, छुपन- छुपाई, लंगडी टांग, पोषम पा, कटथे केक,
    टिप्पी टीपी टाप, पिट्ठू-गरम, अष्टा-चक्कन, चैन-चैन...
    और अगर भाग्य से रात बिजली गुल... गली के बच्चों के साथ चोर सिपाही खेलना...
    बुधवार - शुक्रवार का चित्र-हार...
    स्कूल में फिफ्टी - फिफ्टी...
    और रविवार को... सारा दिन क्रिकेट...
    अब इन्टरनेट - ऑफिस से फुर्सत ही नहीं मिलती...
    मिट्टी में खेलना भी भाग्य की बात है...
    "जिसने कबड्डी नहीं खेली...वो जन्मा ही नही"...
    आजकल बच्चों की ओर देखता हूँ... सब इन्टरनेट खा गया l

    ReplyDelete
  44. वकील और दादी माँ

    वकीलों को दादी माँ से ऐसे प्रश्न करने ही नहीं चाहिए थे जिनके उत्तर वे सुन न सकें। एक छोटे शहर की अदालत में अभियोजन पक्ष के वकील ने अपने पहले गवाह के रूप में एक बुजुर्ग दादी माँ को कटघरे में बुलाया।

    उनके पास जाकर वकील ने उनसे पूछा - “श्रीमती जोन्स, क्या आप मुझे जानती हैं? “

    दादी ने उत्तर दिया - “हां-हां क्यों नहीं मि. विलियम्स! मैं तुम्हें तब से जानती हूं जब तुम जवान थे। और यदि मैं साफ-साफ कहूं तो तुमने मुझे बहुत निराश किया है। तुम झूठे हो, तुमने अपनी पत्नी को धोखा दिया है, तुम लोगों से झूठ बोलकर उन्हें फुसलाते हो और पीठ पीछे उनकी बुराई करते हो। तुम अपने आप को तीसमार खां समझते हो जबकि तुम्हारे पास इतनी भी अक्ल नहीं है कि अपने आप को समझ सको। हां मैं तुम्हें जानती हूं मि. विलियम्स! “

    वकील भौचक्का रह गया! जब उसे कुछ समझ में नहीं आया कि क्या करे, उसने बचाव पक्ष के वकील की ओर इशारा करते हुए पूछा - “श्रीमती जोन्स, क्या आप बचाव पक्ष के वकील को जानती हैं? “

    दादी ने फिर उत्तर दिया - “क्यों नहीं, जरूर जानती हूं! मैं मि. ब्रैडले को उनकी जवानी के समय से जानती हू। वे आलसी, कट्टर और शराबी हैं। वे किसी से भी सामान्य संबंध नहीं रख सकते और उनकी वकालत पूरे राज्य में सबसे खराब है। यह कहने की बात नहीं है कि उन्होंने अपनी पत्नी को धोखा दिया है और उसके तीन महिलाओं के साथ संबंध रहे हैं जिसमें से एक तुम्हारी पत्नी है। हां मैं उसे जानती हूं! “

    बचाव पक्ष का वकील सन्न रह गया।

    यह सुनकर जज महोदय ने दोनों वकीलों को अपने नजदीक बुलाया और धीरे से कहा - “खबरदार जो तुम लोगों ने उस महिला से मेरे बारे में पूछा। मैं तुम दोनों को हवालात................................

    ReplyDelete
  45. सत्य और असत्य

    एक बार एक आदमी की परछाई ने उससे कहा - "यह देखो। मैं तुमसे कितने गुना बड़ी हो गयी हूं और तुम जैसे थे वैसे ही हो।"

    कुछ देर चुप रहने के बाद वह व्यक्ति बोला - "यही सत्य और असत्य के बीच का फ़र्क है। सत्य जितना है, उतना ही रहता है और असत्य पल-पल में घटता-बढ़ता रहता है।"

    ReplyDelete

Please do not use abusive/gali comment to hurt anybody OR to any authority. You can use moderated way to express your openion/anger. Express your views Intelligenly, So that Other can take it Seriously.
कृपया ध्यान रखें: अपनी राय देते समय अभद्र शब्द या भाषा का प्रयोग न करें। अभद्र शब्दों या भाषा का इस्तेमाल आपको इस साइट पर राय देने से प्रतिबंधित किए जाने का कारण बन सकता है। टिप्पणी लेखक का व्यक्तिगत विचार है और इसका संपादकीय नीति से कोई संबंध नहीं है। प्रासंगिक टिप्पणियां प्रकाशित की जाएंगी।